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कृषक प्रशिक्षण में मोटे अनाजों (मिलेट्स) की खेती पर दिया गया बल, वितरित किए रागी फसल के बीज

कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजेंद्र सिंह के निर्देश के क्रम में मंगलवार को  कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर द्वारा गांव रायपुर में किसानों को एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण में श्रीअन्न (मोटे अनाजों) की उत्पादन तकनीक की बारीकियों को बताया गया। 

इस अवसर पर केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कृषकों को बताया कि देश में पैदा की जाने वाली मुख्य मिलेट्स फसलों में ज्वार,बाजरा और रागी का स्थान आता है।जबकि छोटी मिलेट्स फसलों में कोदों,कुटकी,सावां आदि की खेती की जाती है। उन्होंने किसानों को बताया कि जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत यह फसलें अत्यंत उपयोगी हो गई है। जो कि सूखा सहनशील,अधिक तापमान, कम पानी की दशा में तथा कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से पैदा कर इनसे अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों का रुझान मोटे अनाजों के उत्पादन की तरफ हो रहा है। इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी डॉ एके सिंह ने कृषकों को बताया कि मोटे अनाजों में अन्य फसलों की अपेक्षा कीट एवं रोग कम लगते हैं जिससे फसल लागत कम आती है और किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। 

उन्होंने बताया कि मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से मोटे अनाज काफी लाभकारी हैं। इसलिए इन्हें सुपर फूड कहा जाता है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों को दैनिक आहार में प्रयोग करने से मधुमेह, रक्तचाप एवं गुर्दे की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। 

इस अवसर पर गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने मिलेट्स के मूल्य संवर्धन विषय पर विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर किसानों को रबी फसल के  बीजों के किट वितरित किए गए।इस अवसर पर डॉ. शशिकांत, डॉ. राजेश राय, कृषि विभाग के बीज गोदाम इंचार्ज दीपक सहित प्रगतिशील किसान चरण सिंह, चुन्ना सिंह राजू राजपूत एवं माया देवी सहित आसपास क्षेत्र के एक सैकड़ा से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया।

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