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कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित अखिल भारतीय समन्वित तंबाकू परियोजना अरौल के प्रभारी एवं अभिजनक डॉ. अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र पर तंबाकू फसल में खरपतवार प्रबंधन पर लगाए गए तीन वर्षों के परीक्षणों के परिणाम उत्साहजनक प्राप्त हुए हैं। जिसे अखिल भारतीय तंबाकू की 25वीं कार्यशाला में डॉक्टर श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. टी.आर. शर्मा एवं कमेटी के अन्य सदस्यों द्वारा इस नवीन शस्य तकनीक को उत्तर प्रदेश हेतु अनुमोदित किया गया। साथ ही उन्होंने निदेशक केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान राजामुंदरी डॉ. डी. दामोदर रेड्डी को निर्देशित किया कि इस तरह की किसान उपयोगी शस्य तकनीकों को उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों एवं अन्य फसलों में भी उपयोग में लाया जाए। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि इस शस्य तकनीक (खुरपी की सहायता से तीन बार खरपतवार निकालना एवं पॉलीथिन मल्च द्वारा खरपतवार नियंत्रण) के प्रयोग से सामान्य तकनीकी अपेक्षा लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ एवं तंबाकू की पत्तियों में निकोटिन की मात्रा 3.5 से 4.5 प्रतिशत तक पाई गई जबकि अन्य तकनीक में 2.5 से 3% तक पाई जाती है। उन्होंने बताया कि शुद्ध लाभ सामान्य तकनीकी की अपेक्षा डेढ़ से दो गुना अधिक तक प्राप्त हुआ है। अतः किसानों कि आय व मृदा स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से यह अत्यंत उपयोगी है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को किसानों के प्रक्षेत्र पर शीघ्र ले जाया जाएगा जिससे किसान इस तकनीक से लाभान्वित हो। ज्ञात हो कि डॉक्टर श्रीवास्तव द्वारा तीन बहु उपयोगी कृषि शस्य तकनीकों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुमोदित कराई जा चुकी हैं। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तंबाकू के अंतर्गत लगभग 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल है। जो कानपुर नगर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, एटा, मैनपुरी, आजमगढ़, बलिया इत्यादि जनपदों में की जाती है। डॉक्टर अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक को विकसित करने में टीम के सदस्य डॉक्टर एन.बी. सिंह एवं डॉ. खलील खान मृदा वैज्ञानिक का विशेष योगदान रहा।