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विश्व जल दिवस की पूर्व संध्या पर ‘छोटी नदियों के संरक्षण पर संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन, चिंतकों ने की चर्चा

कानपुर नगर। एक समय था जब जगह-जगह नदियां, तालाब, नहर, कुएं दिखाई देते थे, लेकिन औद्योगीकरण की राह पर चल पड़ी इस नई दुनिया ने इस दृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। तालाब, कुएं, नहर, छोटी नदियां वगैरह सूखते जा रहे हैं। नदियों का पानी दूषित होने के साथ कम होता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व जल दिवस की पूर्व संध्या पर ‘पीपुल फॉर पीपुल सोसाइटी’ के तत्वाधान में आज रविवार को विवेकानंद विहार कानपुर में ‘छोटी नदियों के संरक्षण पर संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि, छोटी नदी कर्णावती के पुनरुद्धार के लिए भारत सरकार से सम्मानित आई ए एस अनुराग पटेल, विशेष सचिव, युवा कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार पटेल ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज के प्रबंधक शैलेन्द्र पटेल ने की।  

मुख्य अतिथि अनुराग पटेल ने जल संरक्षण के लिए अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि फर्रुखाबाद में 101 और मिर्ज़ापुर में 505 तालाबों का पुनरुद्धार किया और 126 तालाबों से जल कुम्भी साफ़ की। मिर्ज़ापुर जिलाधिकारी रहते हुए उनके द्वारा चलाया गया जल जलाशय ज़मीन अभियान काफी सफल रहा था। इसके साथ ही उन्होंने कर्णावती नदी के पुनरुद्धार के लिए किये गए प्रयासों की भी चर्चा की। जिसके लिए उन्हें भारत सरकार से पुरस्कृत भी किया गया। उन्होंने बताया कि तालाबों की खुदाई और करणी नदी के पुनरुद्धार से वहां का भूगर्भ जल स्तर ऊपर आ गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शैलेंद्र पटेल ने कहा कि वाटर फिल्टर से निकलने वाले खराब पानी को नाली में न बहाकर गमलों में डाल देना चाहिए, पोछा लगाने आदि के काम में लाना चाहिए।

इस अवसर पर उपस्थित सामाजिक चिंतकों ने छोटी नदी, तालाब, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन आदि पर गंभीर चर्चा कर अपने अनुभव साझा किये। सामाजिक चिंतक केदार नाथ सचान ने भूगर्भ जल के गिरते हुए स्तर पर कहा कि स्थितियां काफी विकट हैं जल संरक्षण के लिए युवाओं को आगे बढ़कर काम करना चाहिए और सरकार को भी चाहिए कि गंगा के साथ छोटी नदियों की सफाई और संरक्षण पर भी काम करे। पाण्डु नदी अभियान से जुड़े आर्किटेक्ट सर्वेश पांडेय ने कहा कि सभी को मकान बनवाते समय वर्षा जल संचयन की दिशा में कार्य करना चाहिए। वहीँ वेद त्रिपाठी ने पाण्डु नदी के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि एकजुट होकर सामूहिक प्रयास से ही सफलता मिलेगी।इंजीनियर सतीश सचान ने बाथरूम में होने वाली पानी की बरबादी पर चिंता व्यक्त की। चिकित्साधिकारी डॉक्टर नीरज सचान ने कहा कि हमें अपने बच्चों को भी सीखना चाहिए। जिससे जल संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल हो सके। 

कार्यक्रम के आयोजक और संचालक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने सभी से आह्वाहन किया कि अपने गांव और आसपास की छोटी नदियों के किनारे एकत्र होकर अभियान चलाएं। जिससे लोगों में जागरूकता आए। अंत में कैलाश उमराव ने छोटी नदियों के संरक्षण संवाद कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस संवाद कार्यक्रम में पत्रकार डॉ नीरज सचान, के. के. मिश्रा, आलोक सचान, अनूप सचान, एड. वेद उत्तम, डॉ संजय सिंह, जे एन कटियार, आशीष मिश्रा, संतोष यदुवंशी, अंशुल पटेल सहित लगभग 200 लोगों ने शिरकत की।

क्यों मनाया जाता है विश्व जल दिवस

विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है। ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।

इस साल के जल दिवस की थीम

हर साल विश्व जल दिवस की थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष की थीम है ‘वेल्यूइंग वाटर’। जिसका लक्ष्य लोगों को पानी का महत्व समझना है। 

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