कानपुर नगर। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति को दासता से मुक्ति दिला सकता है। शिक्षा जीवन मूल्यों के विकास हेतु आवश्यक है। शिक्षा ही जीवन जीने के नये-नये रास्ते प्रशस्त करती है। शिक्षा के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन आसान नही हो सकता है। इस प्रकार तमाम तथ्यों एवं आँकड़ों को डॉ. रश्मि गौतम, असिस्टेंट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, उत्तर प्रदेश एवं डॉ. संजीव कुमार गौतम, डीन ऑफ मॉडर्न स्टडीज, केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान, डीम्ड विश्वविद्यालय लेह, लद्दाख ने संयुक्त रूप से इंस्टीट्यूट पेंडिडिकन इंडोनेशिया एवं आईएफएआरपी की थर्ड अंतरराष्ट्रीय कॉन्फेंस टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन एंड मल्टीडिसिप्लिनरी स्किल्स इन द 21वी सेंचुरी रिसर्च-2023 में प्रस्तुत अपने शोध पत्र में कहीं। दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में उन्होंने ‘इम्पैक्ट ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन ऑन यूथ: टीचिंग एंड लर्निंग’ विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।
इस शोध पत्र में मानव जीवन में शिक्षा के महत्व को बताया गया और साथ ही साथ बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा-प्रशिक्षण दोनों ही शिक्षापरक कार्यों में ऑनलाइन शिक्षा मददगार साबित हुई।
शोधपत्र में तकनीकी शिक्षा एवं इनोवेशन को उजागर करते हुए डॉ. गौतम ने तकनीकी ज्ञान में बढ़ोतरी होने का ज़िक्र किया। उन्होंने अपने शोध पत्र के माध्यम से भारत में तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ डिजिटल साक्षरता में निरंतर वृद्धि होने का जिक्र किया। न्यू एडुकेशन पालिसी-2020 का जिक्र करते हुए भारत शिक्षा के क्षेत्र में 2024 तक शिक्षा का नये स्वरूप में विकसित करने की बात भी कही। नई पीढ़ी में तकनीकी दक्षता विकसित करने में वर्तमान नीति आयोग भी वचनबद्ध है। इसके लिये सरकार की ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को बढ़ावा हेतु शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं के लिये ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल के संचालन का जिक्र किया।
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