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‘कुटीर उद्योग महिलाओं के लिए आय का साधन’ विषय पर प्रशिक्षण हुआ संपन्न

कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र,दलीप नगर द्वारा शनिवार को आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा कार्यक्रम सप्ताह में ग्राम रुदापुर में कुटीर उद्योग महिलाओं के आय का साधन विषय पर प्रशिक्षण आयोजित कराया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए गृह वैज्ञानिक डॉ. निमिषा अवस्थी ने बताया कुटीर उद्योग सामूहिक रूप से उन उद्योगों को कहते हैं जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सृजन अपने घर में ही किया जाता है न कि किसी कारखाने में। कुटीर उद्योगों में कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से अपने घरों में वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

भारत में प्राचीन काल से ही कुटीर उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अंग्रेजों के भारत आगमन के पश्चात् देश में कुटीर उद्योगों तेजी से नष्ट हुए एवं परम्परागत कारीगरों ने अन्य व्यवसाय अपना लिया। किन्तु स्वदेशी आन्दोलन के प्रभाव से पुनः कुटीर उद्योगों को बल मिला और वर्तमान में तो कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानान्तर भूमिका निभा रहे हैं। अब इनमें कुशलता एवं परिश्रम के अतिरिक्त छोटे पैमाने पर मशीनों का भी उपयोग किया जाने लगा है। डॉ. विनोद प्रकाश ने कृषक उत्पादक संगठन के बारे में बताया की किसी  उत्पाद को की बिक्री हेतु ब्रांड नाम काफी महत्व रखता है और एफ. पी. ओ. से ब्रांडिंग एवं बाजार उपलब्ध हो जाता है। डॉ अरुण सिंह ने कहा की कुटीर उद्योग के रूप में सब्जियों का परिरक्षण एक बहुत अच्छा साधन है। मशरूम के पोषण मान की जानकारी देते हुए डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया की मशरूम का उत्पादन एवं प्रसंस्करण भी कुटीर उद्योग के रूप में अपना कर आय अर्जित की जा सकती है।

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