कानपुर। विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियन्त्रण योजनान्तर्गत कानपुर मण्डल के कृषकों एवं तकनीकी कर्मचारियों को आई०पी०एम एवं कृषि रक्षा की नई तकनीक की जानकारी हेतु कृषि भवन परिसर में उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा), कानपुर मण्डल द्वारा प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें मण्डल के समस्त जनपदों से कुल 52 तकनीकी कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
डा० अशोक तिवारी, उप कृषि निदेशक, (कृषि रक्षा), कानपुर मण्डल द्वारा विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण योजनान्तर्गत योजना के मार्गदर्शी सिद्धान्त, योजना के मुख्य उददेश्य एवं कृषकों को बायोपेस्टीसाइड/बायोएजेण्ट्स , बीज शोधन, कृषि रक्षा रसायन, कृषि रक्षा यंत्र एवं अन्न भण्डारण हेतु बखारी पर अनुमन्य सुविधाओं की जानकारी दी गयी। साथ ही कृषि रक्षा रसायनों के स्थान पर बायोपेस्टीसाइड्स यथा- ट्राइकोडर्मा, ब्यूबेरिया बैसियाना के प्रयोग कराने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित किया जाय। सभी कार्मिकों को सरकार की प्राथमिकता में शामिल ‘किसानों की दुगनी आय के तीन मूल सिद्धान्त, कृषि निवेश की लागत कम करना, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करना एवं उत्पादन का उचित मूल्य मिलना’ को ध्यान में रखते हुए कृषि रक्षा कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार पर बल दिया गया।
आशीष कुमार सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, कानपुर नगर के द्वारा कृषि रक्षा कार्यों की जानकारी देते हुए बताया गया कि मण्डल में पी0सी0एस0आर0एस0 के वाट्सएप नम्बर 9452257111 एवं 9452247111 का कृषकों में अधिकाधिक प्रचार कर कृषकों की समस्याओं को निदान हेतु भिजवाये। कृषि रक्षा यन्त्रों मानवचलित व शक्तिचालित स्प्रेयर एवं अन्न सुरक्षा हेतु बखारी का कृषकों में प्रचार-प्रसार कर लक्ष्य के अनुरूप वितरण कराये। गेहूँ में खरपतवार नियन्त्रण हेतु गेहूँसा के लिये सल्फोसल्फयूरान 75 प्रतिशत तथा सकरी एवं चौड़ी पत्ती के लिये सल्फोसल्फयूरान+मेट सल्फयूरान मिथाइल्स एवं केवल चौड़ी पत्ती हेतु मेट सल्फयूरान मिथाइल अथवा 2.4 – डी का प्रयोग संस्तुति मात्रा को पानी में घोल कर छिड़काव करें। भूमि शोधन एवं बीज शोधन अपनाकर कम लागत में कीट व रोगों से बचाकर लाभ लिया जाये। जैविक कीट रोग नाशकों का फसलों में अधिकाधिक प्रयोग कर गुणवत्ता युक्त उत्पादन लिया जायें खासकर सब्जियों में जैविक कीट रोग नियन्त्रण अवश्य करे। विशक्तता के आधार पर कीटनाशी रसायनों के वर्गीकरण लाल, नारंगी, पीला, नीला व हरे तिकोने निशान एवं उनकी उपयोगिता की विस्तार से जानकारी दी गयी। साथ ही फेरोमोन ट्रैप, लयूर का इस्तेमाल, पीला और नीला स्टिकी ट्रैप, लाइट ट्रैप बनाने, ट्राइकोगामा कार्ड की उपयोग की विधि के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किये गए अठारह कीटनाशी रसायनों के बारे में जानकारी दी गयी।
डाo आरo एo त्रिपाठी पूर्व कृषि वैज्ञानिक द्वारा खरीफ व रबी तथा जायद में जैविक विधि एवं रासायनिक विधि के साथ ही आई० पी० एम० विधियों द्वारा कीट प्रबन्धन के अन्तर्गत धान , मक्का, ज्वार, बाजरा, गेहूँ, चना, मटर, सरसों, कुकुरविट्स, बैगन, भिण्डी, टमाटर, मूली, आम, अमरूद, पपीता की फसल में कीट रोग नियन्त्रण के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।
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