कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा 16 से 22 अगस्त तक गाजर घास उन्मूलन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राम प्रकाश ने बताया कि गाजर घास पूरे देश में लगभग 35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैल चुका है। इसका एक पौधा 1 वर्ष में 20 हजार से 25 हजार पौधे उत्पन्न कर देता है। यह घास बहुत ही हानिकारक होती है तथा पर्यावरण को प्रदूषित कर देती है। उन्होंने बताया कि गाजर घास से फसलों के 35 से 40 प्रतिशत तक की हानि होती है।
मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने बताया कि गाजर घास को विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से जानते हैं, जैसे चटक चांदनी, गंदी बूटी आदि है। डॉक्टर खान ने बताया कि यह पौधा बहुत विषैला होता है। जिससे मनुष्य में एलर्जी, फीवर, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है। डॉ. शशि कांत ने बताया कि पशुओं द्वारा खाने पर उसके दूध में कमी तथा विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है। उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मैक्सिकन बीटल नाम का कीट गाजर घास के उन्मूलन में प्रयोग किया जाता है। यह गाजर घास को खाकर खत्म कर देता है। डॉक्टर विनोद प्रकाश ने किसानों को सचेत करते हुए बताया कि गाजर घास को हाथ से उखाड़ते समय हाथ में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरा शरीर ढका होना चाहिए अन्यथा यह चर्म रोग, बुखार,एलर्जी, एक्जिमा एवं दमा जैसी गंभीर बीमारियों का मनुष्य शिकार हो सकते हैं। इस अवसर पर अभिषेक सिंह, गौरव शुक्ला सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।