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कृषि विज्ञान केन्द्रों की तीन दिवसीय 28वीं वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ उद्घाटन

कानपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन- 3 कानपुर के निदेशक डॉक्टर अतर सिंह ने बताया कि मंगलवार को कृषि विज्ञान केन्द्रों की 28 वीं वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का ऑनलाइन उद्घाटन हुआ। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के समस्त कृषि विश्वविद्यालयों, भाकृअनुप संस्थानों, गैर सरकारी संस्थाएं, एवं शिक्षण संस्थानों के 88 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं, कार्यशाला के प्रथम दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल कृ.एवं. प्रौ. विवि. के कार्यक्षेत्र के 21 कृषि विज्ञान केन्द्रों ने कार्यशाला में अपनी प्रगति रिपोर्ट एवं कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण किया। 

कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि प्रसार), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने भाकृअनुप-अटारी के प्रकाशनों का विमोचन किया। उप महानिदेशक ने कहा कि वैज्ञानिकों को सातवें वेतन आयोग दिलाया जा रहा है और जहाँ इसका लाभ अभी नहीं मिला है वहां भी लाभ दिलाने के लिये प्रयासरत हैं। बीज उत्पादन में देश में उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्र सबसे आगे हैं। बांदा कृषि विश्वविद्यालय के केवीके ने इसमें पुरस्कार भी प्राप्त किया है। बीज उत्पादन और पौध सामग्री का उत्पादन कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिये काफी महत्वपूर्ण हैं। कई केवीके में समेकित कृषि प्रणाली (आई.एफ.एस. सिस्टम) लग गये हैं। निकरा, न्यूट्री गार्डन आदि परियोजनाओं में राज्य सरकारों का भी सहयोग मिल रहा है। ग्रामीण युवाओं को कृषि में आकर्षित करने के लिये आर्या परियोजना काफी लाभदायक और सफल सिद्ध हो रही है। अनेक युवा इस परियोजना के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, मुर्गीपालन आदि के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। बिहार व उत्तर प्रदेश में भूमिहीन व कम भूमि वाले युवाओं की संख्या अधिक है। उनके लिये लिये भी यह परियोजना काफी लाभदायक सिद्ध हुई है। 

न्यूट्री गार्डन के अन्तर्गत  कुलपति च.शे.आ. कानपुर कृषि एवं प्रौ. विवि. डॉक्टर डी.आर.सिंह ने बताया कि उनके कृषि विज्ञान केन्द्र काफी अच्छे से कार्य कर रहे हैं। कई जिलों में महिलाओं में कुपोषण काफी अधिक है। अनाज के माध्यम से ही पोषण मिले, इसके लिये बायोफोर्टिफाइड प्रजातियां उपयोगी हैं। आंगनवाड़ी वर्कर्स को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। एफ.पी.ओ. के अन्तर्गत स्पेशलाइज्ड एफ.पी.ओ. जैसे मधु उत्पादन का एफ.पी.ओ. आदि बन रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र से 100 किसानों की सफलता की कहानी संकलित करने का कार्य हो रहा है। इसके अतिरिक्त कोविड-19 के दौरान केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मोबाइल, व्हाट्सएप मैसेज एवं समाचार पत्रों तथा दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से नवीन तकनीक पहुंचाई जा रही हैं, जो किसानों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि जो 20 केवीके नये खुलने थे उनमें 19 खुल चुके हैं, शेष 1 भी शीघ्र ही खुल जायेगा। बांदा विवि. का प्रत्येक केवीके पर गाय एवं आई.एफ.एस. माडल का होना काफी अच्छा है अन्य केवीकेज को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। किसानों के नवाचारों को चिन्हित करने के पश्चात भाकृअनुप के वैज्ञानिकों के सहयोग से उनके नवाचारों को और बेहतर बनाकर प्रसारित करें। कृषि विज्ञान केन्द्रों का सबसे मुख्य कार्य नई तकनीक और पद्धति किसानों तक पहुँचाते रहना है। तिलहन के अन्तर्गत सरसों का क्षेत्र बढ़ा है और उत्पादकता में भी वृद्धि हो रही है। हमने डिजीटल इण्डिया कारपोरशन के साथ अनुबन्ध करके किसान सारथी एप लांच की है जिसमें किसान अपने प्रश्न भी वैज्ञानिकों से पूछ सकते हैं और उसी समय अथवा रिकार्डेड सन्देश के माध्यम से बाद में उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यों का काफी अधिक महत्व है उनके कार्यों को जोड़े बिना कोई भी प्रस्तुतीकरण पूर्ण नहीं होता। केवीके आर्या व अन्य परियोजनाओ के अन्तर्गत जो युवा प्रशिक्षित हैं और बेहतर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं उनमें से 5-6 युवकों को विवि. के स्तर पर और उच्च प्रशिक्षण दिला कर राष्ट्रीय स्तर पर 5-6 युवा तैयार करें।

विशिष्ट अतिथि डॉ. बिजेन्द्र सिंह, कुलपति, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, अयोध्या ने कोविड अवधि में भी बजट समय से मिलने के लिये एवं कार्य सुचारू रूप से चलने के लिये अटारी निदेशक को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि कई केवीके में ट्रैक्टर व वाहन काफी पुराने हो चुके हैं वहां नये वाहन व ट्रैक्टर की आवश्यकता है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, कानपुर ने बताया कि कानपुर देहात जिले का अनूपपुर गांव जो कि कुपोषित है उसमें बायोफोर्टिफाइड प्रजातियों को बढ़ावा देकर कृषि विज्ञान केन्द्र दिलीपनगर कानपुर देहात कार्य कर रहा है। अनेक किसानों की आय 2019 में ही दोगुनी हो चुकी है जिनकी सफलता की कहानी का संकलन किया जा चुका है। केवीके की महिला वैज्ञानिकों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित करके महिला सशक्तिकरण का कार्य भी किया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.के. मित्तल कुलपति, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, मेरठ ने कहा कि कृषि को व्यवसाय के रूप में प्रोत्साहित करके ‘बिजनेस ओरिएन्टल’ बनाना चाहिए। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए और बेहतर मार्केटिंग की आवश्यकता है। ग्रामीण युवा कृषि में आकर्षित हों जिससे वे गांव में रह कर ही बेहतर रोजगार प्राप्त करें इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.एस. गौतम, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, बांदा ने कहा कि बुन्देलखण्ड में पानी की कमी है इसके बावजूद कृषि विज्ञान केन्द्रों ने गत कई वर्षों से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। विशेषकर बीज उत्पादन तथा पौध सामग्री उत्पादन में कृषि विज्ञान केंद्र अग्रणी हैं। किसानों की सफलता की कहानी को संकलित कर एक प्रकाशन ‘माटी के कर्मयोगी’ प्रकाशित भी किया जा रहा है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना मिली है। 

उद्घाटन समारोह में सबसे पहले कार्यशाला के अध्यक्ष एवं भाकृअनुप-अटारी कानपुर निदेशक डॉ. अतर सिंह ने उपस्थित सभी मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं सम्मानीय अतिथिगणों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। डॉ. सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के पिछले 6 माह के प्रदर्शनों का प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से चल रही राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं का और उनकी प्रगति का संक्षिप्त परिचय भी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से दिया। उन्होंने बताया कि भाकृअनुप-अटारी के मुख्य कार्यों में केवीके के लिये योजना बनाना, कार्यों की मॉनिटरिंग करना और कार्यान्वयन करवाना है। उन्होंने सीएफएलडी दलहन-तिलहन, निकरा, आर्या, फसल अवशेष प्रबंधन, संकल्प से सिद्धि, बीज उत्पादन, फार्मर फर्स्ट, डामू आदि परियोजनाओं की प्रगति की स्थिति, केवीके का इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं स्टाफ की स्थिति प्रस्तुत की और विभिन्न मुद्दों जैसे बजट सही समय पर जारी करने के लिये समय पर यू.सी. व ए.यू.सी. का विवि. के माध्यम से समय पर आना एवं अन्य मुद्दों से भी माननीय कुलपति गणों व उप महानिदेशक महोदय को अवगत कराया।

कार्यशाला का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शान्तनु कुमार दुबे ने किया, उद्घाटन सत्र के बाद प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राघवेन्द्र सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ। जोन तृतीय के समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक, सहायक महानिदेशकों, उ0प्र0 के कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक प्रसार गणों के साथ ही अन्य वैज्ञानिकों सहित 100 से अधिक प्रतिभागी कार्यशाला में ऑनलाइन उपस्थित रहे।

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