कानपुर। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा शनिवार को उत्तर-1 तथा उत्तर-2 क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यादि के लिए संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन सीएसए विश्वविद्यालय में किया गया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के ट्विटर हैंडल का उद्घाटन भी किया गया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को एकता के सूत्र में बांधने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की भाषा उसकी अस्मिता का प्रतीक होती है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक राष्ट्रीय एकीकरण का सबसे शक्तिशाली और सशक्त माध्यम हिंदी रही है। हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है बल्कि भारतीय जन-मानस की भाषा है। हिन्दी एक समृद्ध, सशक्त एवं सरल भाषा है।
नित्यानंद राय ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए भाषा का अत्यधिक महत्व है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी बन सकेंगी जब देश का हर वर्ग उनसे लाभान्वित हो ताकि ‘सबका साथ सबका विकास’ का उद्देश्य पूरा हो सके। उन्होने कहा कि हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि राजभाषा हिंदी के माध्यम से देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी सिरे तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्वपूर्ण कर्तव्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र निरंतर प्रगतिशील और जीवंत रहे तों हमें संघ के कामकाज में हिंदी का और राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। नित्यानंद ने कहा कि आज गृह मंत्रालय में अधिकतर कार्य राजभाषा में किया जा रहा है।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिंदी ने संपर्क भाषा के रूप में महत्वपूर्ण कार्य किया और आजादी के बाद संविधान ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में चुना। यह वह दौर था जब हिंदी ने गुलामी से त्रस्त देशवासियों में राष्ट्र-भक्ति और एकजुटता की नवीन चेतना का संचार किया। हिंदी को भारतीय चिंतन-धारा का स्वाभाविक विकास क्रम माना गया। उनका कहना था कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने हिंदी को सीधे तौर पर राष्ट्रीय एकता से जोड़ा। आचार्य विनोबा भावे और महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन और हिंदी को संपर्क भाषा बनाया। श्री मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हिंदी का प्रभाव बढना था लेकिन आजादी के बाद किए गए प्रयासों से अपेक्षा के अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं हो सके।
अपने स्वागत उद्बोधन में राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या ने कहा कि राजभाषा सबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने एवं सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग सतत प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में सहजता से कार्य करने के लिए अनेक प्रभावी साधन मुहैया कराए गए हैं। सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग आसान बनाने के उद्देश्य से राजभाषा विभाग ने अन्य ई-टूल्स एवं एप्लीकेशन के अलावा ‘ई महाशब्दकोश मोबाइल ऐप’ और ‘ई-सरल हिंदी वाक्य कोश’ तैयार किए हैं। इसी प्रकार विभाग द्वारा अनुवाद में सहायता के लिए स्मृति आधारित अनुवाद सॉफ्टवेयर ‘कंठस्थ,’ सी-डैक पुणे की सहायता से विकसित किया है, इसका प्रयोग करके सरकारी कामकाज में हिन्दी को बढ़ावा दिया जा सकता है। कार्यक्रम में बोलते हुए चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर तरक्की के लिए आज अंग्रेजी जरूरी नहीं है, आज हिंदी की वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता बढी है। संविधान के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी है और हमें राजभाषा के प्रचार-प्रसार का दायित्व सौंपा है।