नई दिल्ली। भारत सरकार ने पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा ऑक्सीजन सिलिंडरों के आयात के लिए वैश्विक विनिर्माताओं को स्वीकृति देने की वर्तमान प्रक्रिया की समीक्षा की है। कोविड महामारी को देखते हुए, पीईएसओ अब इस तरह की स्वीकृति देने से पहले वैश्विक विनिर्माताओं के उत्पादन संयंत्रों का भौतिक निरीक्षण नहीं करेगा। अब विनिर्माता का ब्योरा; विनिर्माता के आईएसओ प्रमाण पत्र; विशेषताओं, चित्र और बैच संख्या के साथ सिलिंडरों की सूची; हाइड्रो परीक्षण प्रमाण पत्र और थर्ड पार्टी निरीक्षण प्रमाण पत्र जमा करने के बाद बिना किसी देरी के ऐसी स्वीकृतियां ऑनलाइन दे दी जाएंगी। अब ऑक्सीजन सिलिंडर आयात करने के इच्छुक हर विदेशी विनिर्माता/ आयातक को पीईएसओ ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से आयात मंजूरी के लिए आवेदन करने की जरूरत है।
आपात स्थिति को देखते हुए, प्रक्रियाओं में छूट दी गई है और निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाना है, जहां अपरिहार्य स्थिति या आपात स्थिति के चलते पीईएसओ की मंजूरी के बिना ही ऑक्सीजन सिलिंडरों की खेप, आईएसओ कंटेनर या पीएसए संयंत्र या उससे संबंधित उपकरण पहले ही भारत में पहुंच चुके हैं। इन सिलिंडर को भरने की अनुमति नियमों में छूट के आधार पर दी जाएगी। अगर ऑनलाइन स्वीकृतियां नहीं ली गई हैं तो ऐसे उपकरणों के आयात के लिए समान प्रक्रिया लागू होगी।
इसी प्रकार, प्री-शिपमेंट से पहले पीईएसओ का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि, ऑक्सीजन सिलिंडरों के इस्तेमाल से पहले पीईएसओ का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत होगी, जिसमें वजन और हाइड्रो परीक्षण शामिल होता है। वहीं भारतीय दूतावास को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऑक्सीजन सिलेंडरों में लदान से पहले भारतीय या अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन होना चाहिए। भरे हुए सिलिंडर के मामले में, भारत को निर्यात करने वाली एजेंसी को यह प्रमाणित करना होगा कि सिलेंडर में भरी ऑक्सीजन इतनी शुद्ध है और उसका संकेंद्रण उतना है कि वह चिकित्सा उपयोग के लिए ठीक है। उस प्रमाण पत्र को निर्यात करने वाले देश में स्थित भारतीय दूतावास को प्रमाणित करना होगा। इसके अलावा, भारत में पहुंचने के तुरंत बाद ऐसे भरे सिलिंडरों का पीईएसओ की पैनलबद्ध एजेंसी द्वारा नमूना आधार पर निरीक्षण करना होगा और चिकित्सा उपयोग के लिए प्रमाणित करना होगा।
सभी भरे गए सिलिंडरों में गैस की गुणवत्ता का सत्यापन चिकित्सा/खाद्य और औषधि नियंत्रकों की निगरानी में किया जाना चाहिए और यदि गैस की गुणवत्ता मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता के अनुरूप पाई जाती है तो सिलिंडरों को इस्तेमाल के लिए सीधे अस्पतालों को भेजा जा सकता है।