बीजिंग, एजेंसी। पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ (Hu Jintao) को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समापन समारोह से जबरन बाहर निकाल दिया गया है। वहां मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि 79 वर्षीय जिंताओं जो चीनी राष्ट्रपति के बाईं ओर बैठे थे और उन्हें बाहर निकाल दिया गया। इसके साथ ही चीनी प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री ली केकिआंग (Li Keqiang) और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के तीन अन्य सदस्यों को शनिवार को नवनिर्वाचित केंद्रीय समिति से बाहर कर दिया गया है।
चीन में अब मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चुनौती देने वाले तमाम नेताओं पर नकेल कसी जा रही है। कम्युनिस्ट पार्टी की 20 कांग्रेस यानी CCP मीटिंग से देश के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को जबरन बाहर निकाल दिया गया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से जारी एक वीडियो में शी जिनपिंग के बाजू में बैठे हू जिंताओ को दो सुरक्षाकर्मियों ने कुर्सी से उठाया और एस्कॉर्ट कर मीटिंग हॉल से बाहर ले गए। हू जिंताओ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के सीनियर लीडर हैं। शी जिनपिंग के 2013 में राष्ट्रपति बनने से पहले जिंताओ दस साल तक चीन के राष्ट्रपति रह चुके हैं। वे 15 मार्च 2003 से 14 मार्च 2013 तक पद पर काबिज थे। उन्होंने संविधान के मुताबिक, दो कार्यकाल पूरे होने के बाद पद छोड़ दिया था। हालांकि, इसके बाद भी लगातार कम्युनिस्ट पार्टी की मीटिंग्स में शामिल होते रहे हैं।
न्यूज एजेंसी AP ने खबर दी है कि शी जिनपिंग ने चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग को भी पार्टी लीडरशिप से हटा दिया है। उनके साथ तीन और टॉप ऑफिशियल्स को हटाया गया है। अब ये चारों नेता दोबारा पोलित ब्यूरो के मेंबर नियुक्त नहीं किए जा सकेंगे। इनकी जगह जो नाम चर्चा में हैं, वे हैं- डिंग जुएक्सियांग, चेन मिनेरो, ली कियान्ग और हू चुनहुआ। चारों ही कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर्स हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानी CCP की बैठक के आखिरी दिन यानी शनिवार को यह फैसला किया गया। जिनपिंग ने शंघाई पार्टी के प्रमुख हान झेंग, पार्टी एडवाइजरी हेड वांग यांग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रमुख ली झांशु को भी पार्टी लीडरशिप से हटा दिया है। ली झांशु को जिनपिंग का बेहद करीबी माना जाता है।
पिछले 7 दिनों से बीजिंग में चल रही चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की हाई लेवल मीटिंग आज खत्म हो गई। इस दौरान पार्टी कॉन्स्टिट्यूशन (संविधान) में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। ये संशोधन चीन के नेता के रूप में शी जिनपिंग की लीडरशिप को बढ़ा सकता है।