कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए देश के प्रथम जैव संवर्धित ग्राम अनूपपुर में प्रदेश की कुलाधिपति/राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश के क्रम में जैव संवर्धित गांव अनूपपुर में स्थापित महिला अध्ययन केंद्र में न्याय दिवस के उपलक्ष्य में एक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह के मार्ग दर्शन में केंद्र की अध्यक्षा व कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर की गृह वैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश वर्मा व प्रशिक्षण सहायक डॉ. निमिषा अवस्थी द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मिथिलेश वर्मा ने महिलाओं को उनके 10 न्यायिक अधिकारों के बारे में जानकारी देकर की। डॉ.वर्मा ने बताया कि महिलाओं को समान वेतन का अधिकार है साथ ही कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ न्याय का अधिकार है। पुत्री को पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार है, और पत्नी को पति व अन्य की प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने व न्याय पाने का पूर्ण अधिकार तो है ही साथ ही पति की आय पर भी अधिकार है। अगर किसी कारणवश कोई पत्नी पति से अलग होती है। तो उसे पति की आधी आय गुजारा भत्ता के रूप में पाने का अधिकार है। इसी के साथ डॉ. मिथिलेश ने कहा कि महिलाओं को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि अन्याय करने से ज्यादा गुनहगार अन्याय सहने वाला होता है।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. निमिषा अवस्थी ने कहा कि न्याय की शक्ति को सर्वोच्च शक्ति माना जाता हैं। पुराने काल से ही यदि कोई व्यक्ति अन्याय करता है तो उसे न्याय प्रक्रिया के द्वारा सजा दी जाती हैं। और समाज को संदेश दिया जाता हैं कि अन्याय करने का दंड भुगतना पड़ेगा। अतः समाज में संतुलन बनाएं रखने के लिए न्याय की व्यवस्था अति आवश्यक हैं। साथ ही यह भी बताया कि महान और बहादुर लोग ही न्याय के लिए खड़े होते हैं, न्याय के लिए लड़ते हैं और न्याय का समर्थन करते हैं और ईश्वर अन्याय करने वाले, अन्याय करने वाले का सहयोग करने वाले और अन्याय का समर्थन करने वालों को दंड जरूर देता हैं। इसलिए हमें किसी के साथ अन्याय न करना चाहिए न ही सहन करना चाहिए।
कार्यक्रम में अनूपपुर ग्राम की 10 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिकाओं सुषमा पाल, शालिनी, कमला सिंह, रीना यादव व रमा देवी ने भी उपस्थिति दर्ज कराई।