कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सिंह ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है उन्होंने बताया कि धान के फूलने व परिपक्वता के समय अधिक वर्षा बादल रहने से धान में कंडुआ रोग का प्रकोप होने की काफी संभावना रहती है। आभासी कंडुआ रोग को हल्दी रोग भी कहते हैं, कंही कंही इसे लाई फूटना भी कहते हैं। यह रोग अस्टिलागोनाईडी वाइरेंस नामक फफूंद के कारण होता है। धान फूलने के समय अगर मौसम में आद्रता 96% के आसपास वह तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस है। तो यह रोग पनपने का सर्वानुकूल मौसम है।
इस बीमारी के प्रभाव बालियों पर किसी किसी दाने पर होता है, प्रभावित दाने आकार में काफी बड़े घुंघरुओं जैसे होते हैं। उन्होंने बताया कि रोगग्रस्त दानों के फूटने पर उसमें नारंगी रंग का पदार्थ दिखाई देता है। जो की फफूंद होता है। शुरुआत में घुंघरू जैसी आकृति का रंग सफेद, फिर पीला, व बाद में काला हो जाता है।
एक अनुमान के अनुसार इस रोग द्वारा फसल को होने वाला नुकसान 5-49 प्रतिशत तक होता है। इस रोग की रोकथाम के लिए बताया अगर यह समस्या आती है तो प्रॉपिनाजोल 1 मिली / ली० पानी की दर से प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि इस रोग से ग्रसित फसल में नत्रजन का कदापि प्रयोग न करें। हमेशा प्रमाणित बीजो की ही नर्सरी लगाएं व बीज उपचार करके ही बीज बोयें।