नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) और जनपद सम्पदा प्रभाग की ओर से 22 सितंबर से 24 सितंबर, 2023 तक चौथा ‘नदी उत्सव’ आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष का ‘नदी उत्सव’ दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। यमुना नदी के किनारे इस तीन दिवसीय आयोजन में विभिन्न कार्यक्रम होंगे। इनमें विभिन्न विषयों पर पर्यावरणविदों और विद्वानों के साथ विद्वत चर्चा, फिल्म स्क्रीनिंग, प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुतियां, कठपुतली शो और विभिन्न पुस्तकों पर चर्चा होगी।
भारतीय संस्कृति में नदियों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में नदियां न केवल पवित्र और पूज्य मानी जाती हैं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन का आधार भी हैं। सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। भारत के बड़ी संख्या में शहर, गांव और कस्बे नदियों के किनारे बसे हैं । उनकी पहचान नदियों से ही होती है। भारतीय समाज ने नदियों को हमेशा सर्वोच्च सम्मान दिया है, नदियों को हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग माना है। संस्कृति मंत्रालय के अधीन कला एवं संस्कृति को समर्पित संस्थान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) पिछले कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर आयोजित कर रहा है।
बता दें, नदी उत्सव की कल्पना डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने लोगों के बीच उनकी पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारे में जागरूकता पैदा करने और संवेदनशील बनाने के लिए की थी। ‘नदी उत्सव’ 2018 में शुरू हुआ था, जिसका उद्घाटन कार्यक्रम गोदावरी नदी के तट पर स्थित महाराष्ट्र के नासिक शहर में किया गया था। दूसरा ‘नदी उत्सव’ कृष्णा नदी के तट पर स्थित आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में और तीसरा ‘नदी उत्सव ’ गंगा नदी के तट पर स्थित बिहार के मुंगेर शहर में आयोजित किया गया था।
‘नदी उत्सव’ कार्यक्रम के दौरान प्राचीन ग्रंथों में नदियों का वर्णन, नदियों के किनारे सांस्कृतिक विरासत और लोक एवं सांस्कृतिक परंपराओं में नदियों का उल्लेख समेत कई विषयों पर चर्चा सत्र आयोजित किये जायेंगे। इन तीन दिनों में 18 फिल्में भी दिखाई जाएंगी। इनमें से छह फिल्में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) ने निर्मित की हैं। कठपुतली शो के भाग के रूप में ‘यमुना गाथा’ का प्रदर्शन पूरन भट्ट द्वारा किया जाएगा।