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नौसेना ने विदेशों से ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनर लाने के लिए सात युद्धपोतों को किया तैनात

नई दिल्ली कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को लगातार मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे निपटने के लिए भारतीय नौसेना ने विदेशों से ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनर लाने के लिए सात युद्धपोतों को तैनात किया है। भारतीय नौसेना ने परेशन समुद्र सेतु II के हिस्से के रूप में कोलकाता, कोच्चि, तलवार, टाबर, त्रिकंड, जलश्व तथा ऐरावत को विभिन्न देशों से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन-फिल्ड क्रायोजेनिक कंटेनर्स और संबंधित मेडिकल इक्विपमेंट को पोत लदान के लिए तैनात किया गया है।

आईएनएस कोलकाता तथा आईएनएस तलवार, जो फारस की खाड़ी में मिशन के लिए तैनात थे, जहाजों की पहली खेप थे जिन्हें तत्काल इस दायित्व के लिए डायवर्ट किया गया और उन्होंने 30 अप्रैल, 2021 को बहरीन के मनामा बंदरगाह में प्रवेश किया। 40 एमटी लिक्विड मेडिकल क्सीजन के साथ चला आईएनएस तलवार अपने देश की तरफ लौट रहा है। आईएनएस कोलकाता मेडिकल आपूर्तियां लाने के लिए कतर के दोहा की ओर बढ़ा है और इसके बाद वह जहाज पर लिक्विड क्सीजन टैंक चढ़ाने के लिए कुवैत जाएगा।

इसी प्रकार, पूर्वी समुद्र तट पर, आईएनएस ऐरावत को भी इस दायित्व के लिए डायवर्ट कर दिया गया है जबकि आईएनएस जलश्व, वह एलपीडी जिसने पिछले वर्ष समुद्र सेतु के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई थी, को रखरखाव की स्थिति से बाहर निकाल कर तैयार किया गया और इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए रवाना किया गया। आईएनएस ऐरावत का लिक्विड क्सीजन टैंक चढ़ाने के लिए सिंगापुर में प्रवेश करने का कार्यक्रम है और आईएनएस जलश्व अल्प सूचना पर मेडिकल स्टोर्स लाने में सहायता के लिए इस क्षेत्र में खड़ा है।

जहाजों की दूसरी खेप जिसमें कोच्चि, टाबर, त्रिकंड शामिल हैं और जो अरब सागर में मिशन की तैनाती में थी, को भी राष्ट्रीय प्रयासों में शामिल करने के लिए मोड़ दिया गया है। दक्षिणी नौसेना कमान से लैंडिंग शिप टैंक आईएनएस शार्दुल को 48 घंटों के भीतर अभियान में शामिल करने के लिए तैयार किया जा रहा है। आवश्यकता पड़ने पर कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में सहायता करने के लिए और अधिक जहाजों की तैनाती करने की भी भारतीय नौसेना के पास क्षमता है।

उल्लेखनीय है कि परेशन समुद्र सेतु पिछले वर्ष नौसेना द्वारा आरंभ किया गया था और कोविड-19 के प्रकोप के बीच पड़ोसी देशों में फंसे लगभग 4000 भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक भारत वापस लाया गया था।

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