कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए. एल. जाटव ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर गुरुवार को बताया कि खरीफ फसलों की बुवाई का समय आ गया है। ऐसे में किसान यदि अपने घर का बीज बो रहे हैं तो बुवाई से पूर्व बीजों का अंकुरण परीक्षण अवश्य करा लें। डॉक्टर जाटव ने बताया कि किसान को कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए हमेशा उत्तम गुणों वाले बीजों का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीजों से ही केवल 20% उत्पादकता उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
डॉ. ए. एल. जाटव ने बताया कि उस बीज को उत्तम कोटि का बीज माना जाता है। जिनमें अनुवांशिक शुद्धता शत प्रतिशत हो अन्य फसल एवं खरपतवार के बीजों से रहित हो रोग एवं कीट प्रभाव से मुक्त हो। उन्होंने कहा कि अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को बुवाई से पूर्व बीज अंकुरण परीक्षण करा लेना चाहिए। बीज अंकुरण परीक्षण में यदि 80 से 90 फ़ीसदी बीजों का अंकुरण है, तो अच्छा है। 70 फ़ीसदी अंकुरण की स्थिति में बीज दर बढ़ाई जाती है। किसान चाहें तो प्रयोगशाला में बीज अंकुरण क्षमता जांच करा सकते हैं।
डॉक्टर जाटव ने बताया कि किसान बीज अंकुरण परीक्षण घर पर भी कर सकते हैं इसके लिए उन्होंने कहा कि प्रथम विधि सूती कपड़ा विधि है। इस विधि में 100 बीजों को सूती कपड़े या जूट की बोरी मैं दूर दूर रखें कपड़े या बोरी को गीला कर ढककर अंधेरे में रखें। 5 दिन बाद उगे बीजों की संख्या गिन कर प्रतिशत निकाल ले। दूसरी विधि में उन्होंने बताया कि अखबार के पृष्ठ को एन आकृति में चार समान हिस्सों में मोड़ ले बीजों को कतार में बिछा लें मुड़े हुए पेपर के दोनों छोरों को धागे से बांध दें पेपर को गीला कर पॉलिथीन में रखें और उसका मुंह बांधे चार-पांच दिन बाद अंकुरण स्थिति देख प्रतिशत निकालन ले। डॉक्टर जाटव ने बताया कि जब जमाव अच्छा होगा तो उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी। आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह ने अन्न उत्पादन करने वाले अन्नदाताओं को शुभकामनाएं दी तथा उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान गरीब/ बेसहारा लोगों को पर्याप्त, शुद्ध एवं पोषक युक्त भोजन उपलब्ध कराना भी हम सबका साझा दायित्व है।