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भारत वर्ष में 70% महिलाएं आयरन कुपोषण की शिकार, कमजोरी एवं चक्कर के साथ बीपी लो हो जाए तो हो सकता है एनीमिया

कानपुर। भारत विकास परिषद (ब्रह्मवर्त प्रांत) द्वारा आयोजित बाल संस्कार शिविर में कुपोषण मुक्त भारत नामक विषय पर बोलते हुए आरोग्यधाम की वरिष्ठ होम्योपैथिक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरती मोहन ने बताया, हमारे देश में महिलाएं अधिक मात्रा में आयरन बहुल फल एवं सब्जियों का सेवन नहीं करती हैं। जो कि महिलाओं में आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया का प्रमुख कारण है। महिलाओं में आयरन की कमी को दूर करने का एक बहुत ही सस्ता एवं आसान तरीका किसी भी तरह के खाने को लोहे की कढ़ाई में पकाकर खाना है। 

डॉ. आरती ने बताया कि आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया में शरीर में न सिर्फ आयरन बल्कि उसके साथ विटामिन बी कंपलेक्स एवं अन्य मिनरल की भी कमी हो जाती है जो कि कभी-कभी महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। कुपोषण मुक्त भारत की महिलाओं का सपना कभी पूरा हो पाएगा। जब महिला शिक्षा की ओर और अधिक ध्यान दिया जाए। महिलाओं को इस बात की जानकारी हो की उन्हें किस प्रकार की डाइट का सेवन करना है, जिससे कि वह कुपोषण की शिकार ना हो पाए साथ ही उन्हें पता हो की अगर कमजोरी, चक्कर, थकान के साथ बदन में दर्द, नजर कमजोर हो जाए एवं बीपी लो रहने लगे तो यह एनीमिया के संकेत हो सकते हैं। होम्योपैथिक दवा फेरम फॉस एवं सिनकोना आयरन कुपोषण में चमत्कारिक प्रभाव दिखाती हैं। इन होम्योपैथी दवाओं का आयरन बहुल डाइट के साथ सेवन किया जाए तो 1 महीने में दो से तीन यूनिट हिमोग्लोबिन बढ़ाया जा सकता है। कार्यक्रम का आयोजन भारत विकास परिषद के आचार्य बद्रीश ने किया।

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