कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी. आर.सिंह के निर्देश के क्रम में आज निदेशक प्रसार (समन्वयक) डॉ एके सिंह ने किसानों हेतु भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान अधिक लाभ कमाएं विषय पर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। डॉ सिंह ने कहा की जायद की फसलों में भिंडी प्रमुख सब्जी फसल मानी जाती है। देशभर में इसकी भारी मांग रहती है। किसान भिंडी की फसल से एक सीजन में अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।
डॉ सिंह ने कहा कि फरवरी से मार्च तक अगेती किस्म की भिंडी बो सकते हैं। इसके लिए भिंडी की प्रमुख किस्में जैसे परभणी क्रांति, पूसा सावनी, पंजाब पद्मनी, पूसा A4, आर्का अनामिका, पंजाब 13 प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए दोमट, बलुई दोमट, मटियार दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बीज को पानी में 24 से 36 घंटे के लिए भिगोकर रखा जाता है तत्पश्चात छायादार वाले स्थान पर सूखने के लिए रख दिया जाता है। इसके बाद बुवाई से पहले बीच को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से किसी भी फफूंदी नाशक दवा जैसे थीरम या कार्बेंडाजिम में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। उन्होंने बताया कि जायद में 20 किलोग्राम भिंडी के बीज की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। भिंडी की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
उर्वरक प्रयोग के लिए बताया कि 45 किलोग्राम नाइट्रोजन, 22 किलोग्राम फास्फोरस तथा 22 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की संपूर्ण मात्रा का प्रयोग अंतिम जुताई के समय करना चाहिए। बाकी नाइट्रोजन की आधी मात्रा में दो बार देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान वैज्ञानिक विधि से खेती करते हैं तो 120 से 125 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त होगी।