कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह द्वारा वैज्ञानिकों को जारी निर्देश के क्रम में मंगलवार को अनौगी, स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी.के. कनौजिया ने सलाह दी है कि मृदा जांच के लिए खेत से मृदा नमूना लेने के लिए मई का महीना सर्वोत्तम होता है। उन्होंने कहा कि रबी फसलों की कटाई के उपरांत खेत खाली हो जाते हैं। ऐसे में मृदा नमूना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान को अपने खेतों से मिट्टी का नमूना लेकर परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। डॉ.वी.के. कनौजिया ने मृदा नमूना लेने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी खाली खेत में 5 जगहों से 15 सेंटीमीटर (6 इंच) गहराई से मिट्टी का नमूना लिया जाता है।सर्वप्रथम किसान भाइयों को खाली खेत में पांच- छह स्थानों पर V(वी) आकार का गड्ढा खोदकर नमूना लेना चाहिए। खेत के पांचों जगहों से नमूना एकत्रित करने के बाद सभी को मिलाकर समग्र (कंपोजिट) नमूना बना लेते हैं। इस नमूने का ढेर बनाकर धन(+) का निशान लगाकर मिट्टी को चार भागों में बांट लेते हैं। कोई भी दो भाग अपने पास रख ले तथा दो भाग हटा दें। यही प्रक्रिया किसान करते रहे जब तक कि आधा किलो मिट्टी शेष न रह जाए। यह मृदा नमूना पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करेगा जो आदर्श मृदा नमूना कहलाएगा। अब इस आधा किलो मिट्टी को लेकर कपड़े की थैली में भरकर उसी में एक पर्ची पर किसान का नाम, पता एवं खसरा संख्या सहित तथा आगे बोई जाने वाली फसल के बारे में लिख देते हैं। तत्पश्चात मिट्टी के नमूने को मृदा परीक्षण हेतु प्रयोगशाला भेजकर मिट्टी का परीक्षण करा लेते हैं। मृदा परीक्षण उपरांत किसान भाइयों को उर्वरक संस्तुति पत्र( मृदा स्वास्थ्य कार्ड) प्राप्त हो जाता है। जिसके आधार पर किसान अपनी फसलों में उर्वरक प्रयोग करते हैं। मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि भूमि की जांच का मुख्य उद्देश मिट्टी की उर्वरता नापना तथा यह पता करना कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है व कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में मृदा में उपलब्ध हैं। मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि मृदा परीक्षण कराने से मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों का सही से निर्धारण हो जाता है। जिससे संतुलित उर्वरक प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन मिलता है।डॉक्टर खान ने बताया कि प्रायः मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर ही फसलों का चयन करना अधिक श्रेयकर रहता है। क्योंकि सभी मिट्टी सभी फसल उगाने के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं।मिट्टी की जांच से स्पष्ट दिशा निर्देश मिल जाता है। कि विशेष खेत में कौन सी फसल उगाई जानी चाहिए।सभी फसलों के उचित बढ़वार एवं उत्पादन हेतु पीएच मान 6.50 से 7.50 सबसे उपयुक्त होता है। साथ ही संतुलित उर्वरक प्रबंधन भी हो जाता है।
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