कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं संयुक्त निदेशक शोध डॉ. एस.के विश्वास ने बताया कि मशरूम की खेती करना आय एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कम लागत एवं कम समय में मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है। डॉ. विश्वास ने बताया कि पोषक तत्व की प्रचुरता के दृष्टिकोण से मशरूम में पोषक तत्व अधिकांश सब्जियों की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। मशरूम में 20 से 35% उच्च कोटि की प्रोटीन पाई जाती है। मशरूम में विटामिन B1, B2, B3, B5, B9 (फोलिक एसिड), वसा, मिनरल्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि 100 ग्राम मशरूम से 35 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसमें सोडियम साल्ट नहीं पाया जाता है जिसके कारण मोटापे, गुर्दा तथा हृदय रोगियों के लिए आदर्श आहार है। उन्होंने बताया कि मशरूम में एर्गोस्टेरॉल पाया जाता है। जो मानव शरीर के अंदर विटामिन डी में परिवर्तित हो जाता है। लौह तत्व उपलब्ध अवस्था में होने के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखता है साथ ही इसमें बहुमूल्य फोलिक एसिड की उपलब्धता होती है जो केवल मांसाहारी खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है। लौह तत्व एवं फोलिक एसिड के कारण यह रक्त की कमी की शिकार अधिकांश ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है।
डॉ. विश्वास ने बताया कि औषधि दृष्टिकोण से इसमें फफूंदी, जीवाणु एवं विषाणु अवरोधी गुण पाए जाते हैं। इसका लगातार प्रयोग करने से ट्यूमर, मलेरिया, मिर्गी, कैंसर, मधुमेह, रक्त स्राव आदि रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे प्रतिदिन आय प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि धींगरी मशरूम लगाने के लिए गेहूं का भूसा, स्पान (बीज), पॉलिथीन बैग और फॉर्मएल्डिहाइड की आवश्यकता होती है। मशरूम उत्पादन के बाद बेकार पदार्थ से केंचुए की खाद (वर्मी कंपोस्ट) बनाई जा सकती है। जिससे मृदा का स्वास्थ्य भी कायम रखा जा सकता है।