कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कार्यान्वित मसाला विकास योजना जो की सुपारी और मसाला विकास निदेशालय कालीकट केरल द्वारा वित्त पोषित है, के अंतर्गत आज बुधवार को विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए जैव संवर्धित गांव अनूपपुर में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता कृषक राज बहादुर पाल ने की।
कार्यक्रम के आरंभ में योजना के अन्वेषक डॉक्टर संजीव कुमार सिंह ने किसानों का स्वागत करते हुए योजना के कार्य क्षेत्र की जानकारी देने के साथ ही उन्होंने कहा, मसालों का औषधीय महत्व पुरातन काल से जाना जाता है लेकिन कोरोना काल में पूरी दुनिया जान गई क्योंकि लगातार काढ़ा पीने वाले प्रायः सुरक्षित हैं। वैसे तो मसाले हमारे भोजन का स्वाद, खुसबू व रुचि बढ़ाते हैं लेकिन कुटीर उद्योग के द्वारा लोग अच्छी कमाई भी कर रहे हैं इसीलिए किसान भाइयों को इसका उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि इसे उगाने में लागत कम आती है।
डॉ निमिषा अवस्थी ने मसालों के मूल्य संवर्धित पदार्थ तैयार करके कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने पर बल दिया। डॉक्टर चंद्रकला ने मसालों में पाए जाने वाले पोषण एवं औषधि महत्व की जानकारी दी। डॉ अरुण सिंह ने लहसुन की लगी हुई फसल में बेहतर रखरखाव के साथ-साथ उसकी खुदाई, क्यूरिंग एवं भंडारण की तकनीकी जानकारी दी। डॉ. आई. एन. शुक्ला ने अच्छे स्वास्थ्य के लिए जैविक मसाला उत्पादन की तकनीक बताई। डॉक्टर आर बी सिंह ने सुझाव दिया कि खड़ी धनिया के दाने बेचने हेतु बहुत ज्यादा पकने का इंतजार नहीं करना चाहिए नहीं तो पाउडर का रंग भूरा काला होगा।
मुख्य अन्वेषक एवं प्राध्यापक डॉक्टर पी.के. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय मसाला फसलों के शोध कार्य में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। और निरंतर प्रयासरत है । हम लोग कोशिश करेंगे कि इस गांव अनूपपुर के कुछ किसानों को भविष्य में प्रदर्शन देने का प्रयास किया जाएगा। इस कार्यक्रम में विकास खंड मैथा से लगभग 96 महिला एवं पुरुष कृषकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संजीव कुमार सिंह ने किया।