नई दिल्ली। भाजपा ने एग्जिट पोल को नकारते हुए भाजपा ने तीसरी बार कमल खिलाने का दावा किया है। भाजपा का कहना है कि हरियाणा के लोगों ने पार्टी को तीसरी बार सरकार बनाने का आशीर्वाद दिया है। मतदान प्रतिशत भले ही कम हुआ है, लेकिन यह बताता है कि सरकार के खिलाफ कोई भी सत्ता विरोधी लहर नहीं थी। पार्टी के बूथ मैनेजमेंट ने काम किया है और बूथ पदाधिकारी अपने-अपने बूथों पर वोट डलवाने में कामयाब हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री व पूर्व सीएम मनोहर लाल ने कहा कि उनके कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने बूथ पर निष्ठा और समर्पण भाव से परिश्रम कर मतदाताओं को प्रेरित किया है। उनकी यह मेहनत अवश्य रंग लाएगी और हरियाणा में फिर से कमल खिलेगा। उनके मुताबिक हरियाणा में भाजपा कम से कम 50 सीटें जीतेगी।
सीएम नायब सिंह सैनी ने भी दावा किया है कि आठ अक्तूबर को भाजपा पूरे बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। हरियाणा के लोग भाजपा के साथ हैं। भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय ने कहा कि दस साल में हरियाणा में भाजपा ने जो कार्य किए हैं, उसी का नतीजा है कि भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा की नीतियों से लोग खुश हैं और मतदान के आंकड़े और मतदाताओं के रुख से स्पष्ट है कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मतदान से पहले ही लोगों का एक नरेटिव बन चुका था। किसी भी आम व्यक्ति से बात करने से पता चल जाता था कि लोगों का रुझान क्या है। लोगों में कांग्रेस के प्रति एक झुकाव दिखता था। यह देखने वाली बात होगी कि लोगों ने किन मुद्दों पर अपना वोट किया है। क्या जवान, पहलवान और किसान के अलावा कोई और मुद्दा भी था, जिसे ध्यान में रखते हुए लोगों ने मतदान किया है। इसके साथ ही यह देखने वाली बात होगी कि हरियाणा की रीजनल पार्टियों का क्या भविष्य होने वाला है। कम मतदान होने से सत्ताधारी दल को नुकसान हो सकता है। संभव है कि उनके ही समर्थकों में ही मतदान करने के प्रति बेरुखी हो।
पम्पा मुखर्जी, चेयरपर्सन राजनीति शास्त्र पीयू चंडीगढ़ के अनुसार, मतदान को देखें तो यह कहा जा सकता है कि जो पहले कहा जा रहा था कि लहर है, तो इससे साबित है कि प्रदेश में किसी की लहर नहीं है। क्योंकि 1977 और 87 में लहर थी तो मतदान 70 प्रतिशत तक पार कर गया था, लेकिन इस बार ऐसा कोई उत्साह मतदाताओं में नहीं देखा गया है। हां, सत्ता विरोधी लहर जरूर दिखी है। भाजपा को माइक्रोमैनेजमेंट, ओबीसी और गैर जाट मतदाताओं से आस है, जबकि कांग्रेस जाट और अनुसूचित जाति का गठजोड़ मजबूत कर रहा है।
एसएस चाहर, रिटायर्ड प्रोफेसर, लोक प्रशासन, एमडीयू के अनुसार, संगठन नहीं होना और कमजोर मैनेजमेंट कांग्रेस की कमजोरी है। ये कहा जा सकता है कि निर्दलीय 6 से 7 सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम देंगे। पिछली बार कम मार्जिन की 33 सीटें थी और इनमें से भाजपा ने 17 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार मतदान से हिसाब से इन सीटों पर कांग्रेस को फायदा मिलता नजर आ रहा है। मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से बागी हुए नेता और भितरघात भारी पड़ सकता है। इनेलो बसपा को हलोपा के साथ गठबंधन भारी पड़ सकता है, जजपा और आप का खाता खुलना मुश्किल है।
एग्जिट पोल पर कांग्रेस नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 55 से ज्यादा सीटें जीतेगी…हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा। सीएम का चेहरा कांग्रेस हाईकमान तय करेगा।