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218 साल का हुआ कानपुर, 24 मार्च 1803 को हुई थी स्थापना

कानपुर। मर्चेन्ट चेम्बर ऑफ कानपुर तथा कानपुर पंचायत के द्वारा संयुक्त रूप से बुधवार को कानपुर का 218वां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ गोविंद नगर के विधायक सुरेन्द्र मैथानी, मर्चेंट चैम्बर के अध्यक्ष सी0ए0 मुकुल टण्डन, उपाध्यक्ष अतुल कनोडिया, कानपुर पंचायत के संयोजक धर्म प्रकाश गुप्त, सह संयोजक सुदीप गोयनका ने दीप प्रज्जवलित कर किया। सीए मुकुल टण्डन ने सभी अभ्यागतों का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि कानपुर की जिले के रूप में स्थापना 24 मार्च, 1803 को की गयी थी। हम सभी जानते है कि कानपुर को पूर्व में मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट कहा जाता था परन्तु आज यह शब्द कही खो गया है। कानपुर महानगर के लिए उसके खोये हुए मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट के अस्तित्व को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहना होगा।  कानपुर का सदैव से ही धार्मिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, चिकित्सकीय, सांस्कृतिक, खेल-कूद आदि में विशिष्ट स्थान रहा है।

इस अवसर पर डा0 ए0एस0 प्रसाद ने कहा कि वैसे तो कानपुर का इतिहास बहुत पुराना है, परन्तु जिले के रूप में इसका विकास अंग्रेजों के समय हुआ। उस समय विभिन्न स्थानों से लोगों को लाकर यहां बसाया गया था। यही कारण है कि कानपुर में विभिन्न क्षेत्रों के लोग मिल जायेंगे। कानपुर आईएमए डाक्टरों का सबसे पहला संगठन था। ऐसी बहुत सी उपलब्धियां कानपुर के साथ जुड़ी हुई हैं।

आईआईए के पूर्व अध्यक्ष सुनील वैश्य ने कहा कि कानपुर में पहला कारखाना 1786 में लगा था। कानपुर में 1803 में स्थापित नील की फैक्ट्री को पहला उद्योग माना जाता है। कानपुर सहित पूरे उत्तर प्रदेश की उपेक्षा हुई, इसके बाद भी यहां के उद्योगपतियों ने संघर्ष करना नहीं छोड़ा। आज उद्योगों का स्वरुप बदल चुका है। इस समय लगभग 2 दर्जन से अधिक प्रमुख उद्योग कानपुर में चल रहे हैं। विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कानपुर के लिए भाजपा की केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गए कार्यों की जानकारी दी। धर्मप्रकाश गुप्त ने बताया कि उनके प्रयासों से कानपुर में आज सरस्वती नदी के प्रवाह पथ की खोज हो रही है, जो एक उपलब्धि है।

वक्ताओं ने कहा कि कानपुर की संस्कृति एवं इतिहास अत्यन्त पुराना है। यहां पर विश्व का सबसे पुराना ईटों का मंदिर तथा इष्टिका कला के अनेकों पुरातात्विक धरोहरों के साथ पौराणिक ब्रम्हावर्त (बिठूर), मूसा नगर, जाजमऊ, जैसे क्षेत्र हैं। इसके साथ ही कानपुर नगर एवं उसके आस-पास गंगा एवं यमुना तट के साथ अनेकों पयर्टन स्थल विद्यमान है। जो हमारे लिए गौरव का विषय है। जनमानस में इसका प्रचार प्रसार न होने के कारण कानपुर को जो स्थान प्राप्त होना चाहिए वह नहीं प्राप्त हो रहा है। अतएव कानपुर पंचायत द्वारा इस दिशा में की जा रही पहल प्रशंसनीय है।

कार्यक्रम का संचालन धर्म प्रकाश गुप्त द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन सहसंयोजक सुदीप गोयनका द्वारा किया गया।

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