कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कल्याणपुर स्थित साग भाजी अनुभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर आई.एन. शुक्ला ने बताया कि खीरा की फसल इस समय खेत में लगी हुई है। खीरे की फसल के प्रबंधन के बारे में डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि आजकल गर्मियों के समय खीरे की फसल में यदि बारिश न हो तभी सिंचाई करें। इसके अतिरिक्त इसमें कीट नियंत्रण बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि खीरे की फसल में एफिड, फल मक्खी, रेड पंपकिन बीटल आदि कीटों द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाया जाता। इन कीटों के नियंत्रण के लिए नीम का काढ़ा बनाकर 250 मिलीलीटर को 15 लीटर पानी में घोलकर फसलों में तर बतर कर छिड़काव करें। उन्होंने यह भी बताया कि खीरे की फसल में रोगों का भी प्रकोप बहुता। इसमें विषाणु जनित रोग मोजेक तथा फफूंद जनित रोग एंथ्रेक्नोज, मृदुरोमिल एवं चूर्णित आसिता रोग होता है। इसका नियंत्रण भी सभी किसान भाई नीम का काढ़ा बनाकर 250 मिली लीटर प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से रोगों का प्रबंधन हो जाता है।
डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि सलाद के रूप में संपूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। पीलिया, प्यास, ज्वर शरीर की जलन एवं चर्म रोग में लाभप्रद है। खीरे का रस पथरी में प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि खीरे में 95 फ़ीसदी पानी होता है। जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है इसके साथ ही खीरे में विटामिन सी बीटा कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण शरीर की इम्युनिटी बेहतर और मजबूत बनती है इसके साथ ही यह शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को दूर करता है। खीरा में विटामिन ए विटामिन सी और फोलिक एसिड होता है। इसमें फाइबर मैग्नीशियम और पोटेशियम सहित कई खनिज होते हैं। उन्होंने कहा कि खीरे का सेवन लाभकारी है।