कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं राई सरसों अनुसंधान संस्थान भरतपुर( राजस्थान) के संयुक्त तत्वाधान में प्रसार निदेशालय के सभागार में प्रसार कार्यकर्ताओं के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन एवं समापन अवसर पर शनिवार को विश्वविद्यालय के पादप कार्यिकीय विभाग के विभागाध्यक्ष एवं निदेशक शोध डॉ. करम हुसैन ने राई सरसों के अधिक उत्पादन हेतु पादप पोषक तत्व प्रबंधन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरसों में सल्फर तत्व अत्यंत आवश्यक है। इसकी पूर्ति हेतु सल्फर तत्व राई फसल में डालना नितांत आवश्यक है।
इसके साथ ही पादप रोग विज्ञान के प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता गृह विज्ञान डॉ. वेद रतन तिवारी ने अपने व्याख्यान में राई सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले अल्टरनेरिया झुलसा तथा तना सड़न रोग इत्यादि बीमारियों की रोकथाम के लिए नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्रसार कार्यकर्ताओं को दी। साथ ही जैविक रोग प्रबंधन पर अधिक बल दिया। इसके साथ ही जीव रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नंदकुमार ने राई सरसों के तेल के मुख्य महत्व एवं उसकी गुणवत्ता और उपयोग तथा लाभ के बारे में जानकारी दी। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि सरसों का तेल हृदय रोगियों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डॉ. महक सिंह ने राई सरसों की विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीनतम प्रजातियों के बारे में प्रसार कार्यकर्ताओं को विस्तृत से जानकारी दी। डॉ. वी.के. सिंह एवं डॉ. राजवीर सिंह ने प्रतिभाग कर रहे सभी प्रसार कार्यकर्ताओं को विश्वविद्यालय के तिलहन शोध प्रक्षेत्र पर भ्रमण कराया तथा वहां पर लगी राई सरसों के विभिन्न परीक्षणों की जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने सभी प्रसार कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया है कि वे राई सरसों की नवीनतम तकनीक एवं विश्वविद्यालय द्वारा विकसित राई सरसों की प्रजातियों को किसानों तक इस दो दिवसीय प्रशिक्षण के माध्यम से अवश्य पहुंचाएं। जिससे किसानों की आय दोगुनी करने और कृषक आत्मनिर्भर बन सकें। अंत में अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉक्टर धर्मराज सिंह ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।