कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. हरीश चंद्र सिंह ने बताया कि असिंचित क्षेत्रों में बोई जाने वाली मोटे अनाजों में सांवा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह भारत की एक प्राचीन फसल है। यह सामान्यत: असिंचित क्षेत्र में बोई जाने वाली सूखा प्रतिरोधी फसल है। इसमें पानी की आवश्यकता अन्य फसलों से कम है। हल्की नम व ऊष्ण जलवायु इसके लिए सर्वोत्तम है। उन्होंने बताया कि सामान्यतः सांवा का उपयोग चावल की तरह किया जाता है। उत्तर भारत में सांवा की खीर बड़े चाव से खाई जाती है। इसका हरा चारा पशुओं को बहुत पसंद है। इसमें चावल की तुलना में अधिक पोषक तत्व पाये जाते हैं।
डॉ. सिंह ने बताया कि सांवा में चावल से दूना प्रोटीन, 11 गुना वसा, 73 गुना रेशा , 8 गुना लौह तत्व, 1.5 गुना कैल्शियम और दूनी मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है | उन्होंने बताया कि सामान्यता यह फसल कम उपजाऊ वाली मिट्टी में बोई जाती है। परन्तु इसके लिए बलुई दोमट व दोमट मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व हो, सर्वाधिक उपयुक्त है। डॉ. हरीश चंद्र सिंह ने बताया कि साँवा की बुवाई की उत्तम समय जुलाई के अंतिम सप्ताह तक है। मानसून के प्रारम्भ होने के साथ ही इसकी बुवाई कर देनी चाहिए। इसके बुवाई छिटकावाँ विधि से या कूड़ों में 3-4 सेमी. की गहराई में की जाती है। उन्होंने बताया कि इस का बीज प्रति हेक्टेयर 8 से 10 किग्रा. गुणवत्तायुक्त बीज पर्याप्त होता है। इस की उन्नतशील प्रजातियां टी-46, आई पी-149, यू पी टी-8, आई पी एम 97, आई पी एम 100, प्रमुख हैं उन्होंने बताया इस फसल के लिए खाद एवं उर्वरक का प्रयोग 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट खाद खेत में मानसून के बाद पहली जुताई के समय मिलाना लाभकारी होता है। नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश की मात्रा 40:20:20: किग्रा. प्रति हेक्टेयर के अनुपात में प्रयोग करने से उत्पादन परिणाम बेहतर प्राप्त हो जाते हैं उन्होंने कहा कि जब वर्षा लम्बे समय तक रुक गयी हो, तो पुष्प आने की स्थिति में एक सिंचाई आवश्यक हो जाती है।
खरपतवार नियंत्रण बुवाई के 30 से 35 दिन तक खेत खरपतवार रहित होना चाहिए। निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ ही पौधों की जड़ो में ऑक्सीजन का संचार होता है जिससे वह दूर तक फैल कर भोज्य पदार्थ एकत्र कर पौधों की देती हैं। सामान्यतः दो निराई-गुड़ाई: 15-15 दिवस के अन्तराल पर पर्याप्त है।
Tags agri Agriculture Agriculture Latest News CSA University CSA University latest News CSA Vice Chancellor
Check Also
उत्तर प्रदेश डायबिटीज एसोसिएशन ने डॉ. प्रवीण कटियार को फेलोशिप प्रदान की
कानपुर। उत्तर प्रदेश डायबिटीज एसोसिएशन ने शनिवार को 23वीं वार्षिक कांफ्रेंस, यूपीडीएकान 2024, गाजियाबाद, की …