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आईआईटी कानपुर और केजीएमयू लखनऊ युवाओं को बनाएंगे बायोमेडिकल उद्यमी, मिलेगी फेलोशिप

कानपुर नगर। स्वास्थ्य-तकनीक नवाचारों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बढ़ते हुए आईआईटी कानपुर और केजीएमयू लखनऊ ने संयुक्त रूप से स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायोडिजाइन-सिनर्जाइजिंग हेल्थकेयर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एसआईबी-शाइन) कार्यक्रम शुरू किया है। यह बायोमेडिकल उद्यमियों की अगली पीढ़ी तैयार करने के उद्देश्य से एक साल भर चलने वाला पूर्णकालिक समर्पित आवासीय फेलोशिप कार्यक्रम है। कार्यक्रम में भारत-विशिष्ट, विश्व स्तर पर प्रासंगिक चिकित्सा उपकरणों के विकास को बढ़ावा देकर वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में प्रभाव डालने की भी परिकल्पना की गई है। कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है। आईआईटी कानपुर और KGMU इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए आईआईटी, दिल्ली और AIIMS दिल्ली के बाद दूसरा संस्थानों का समूह है। बायो डिजाइन और क्लिनिकल इनोवेशन, मेडिकल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, एंटरप्रेन्योरशिप और फाइनेंस मैनेजमेंट क्षेत्र के विशेषज्ञ एसआईबी शाइन प्रोग्राम का नेतृत्व कर रहे हैं और एसआईबी-शाइन फेलो पूरे कार्यक्रम में इन विशेषज्ञों से क्यूरेटेड निर्देश और सलाह प्राप्त करेंगे।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा, आईआईटी कानपुर में, मेडटेक डोमेन में अनुसंधान और नवाचार में उल्लेखनीय तेजी आई है। हमारा उद्देश्य स्वदेशी और कम लागत वाले मेडटेक उपकरणों और सेवाओं के साथ हमारे देश के स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करना है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा प्रायोजित यह एसआईबी शाइन फेलोशिप इस संबंध में आवश्यक है। फेलोशिप न केवल मेडटेक डोमेन में अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाएगा, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण आरएंडडी और उद्यमशीलता समर्थन के साथ स्वदेशी प्रतिभा का समर्थन करके आत्मानिर्भर भारत के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। 

प्रो अमिताभ बंद्योपाध्याय, प्रोफेसर, जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर, और प्रोफेसर-इंचार्ज, एसआईबी शाइन, ने कहा, हेल्थ-वर्कर्स, इंजीनियरिंग उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करते हैं। वे जानते हैं कि क्या उपयोग करना है, लेकिन वे नहीं जानते कि उन्हें कैसे बनाया जाए। दूसरी ओर इंजीनियर, इंजीनियर उत्पाद बनाना जानते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि क्या बनाना है। आईआईटी, कानपुर और KGMU का SIB-SHInE कार्यक्रम इस अंतर को पाट देगा और संभावित रूप से हमारे अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों के प्रवेश के तरीके को बदल सकता है। 

कार्यक्रम 4सी(C)- क्लीनिकल इमर्शन, कन्सेप्शन, क्रिएशन और कोरॉबरैशन की फिलॉसफी पर आधारित है। कार्यक्रम की शुरुआत एसआईबी शाइन फेलो की एक बहु-विषयक टीम की तैनाती के साथ होगी, जिसका चयन कठोर स्क्रीनिंग के माध्यम से किया जाएगा, जो केजीएमयू लखनऊ में क्लीनिकल अभ्यास से गुजरेंगे। क्लीनिकल अभ्यास के दौरान, फेलो प्रख्यात डॉक्टरों का अनुसरण करेंगे और विभिन्न क्लीनिकल आवश्यकताओं की पहचान करेंगे। अपने क्लीनिकल अभ्यास को पूरा करने के बाद, फेलो पहचान की गई बायोमेडिकल समस्याओं के लिए प्रोटोटाइप विकास शुरू करने के लिए आईआईटी कानपुर आएंगे। यह कार्यक्रम युवाओं को बायोमेडिकल उद्यमी बनने और अपना खुद का उद्योग शुरू करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, जिसमें सभी चयनित फेलो को 60,000 रुपये मासिक वजीफा और वैश्विक मेडटेक उद्योग के लीडरों तक पहुंच शामिल है।

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