देहरादून। एक ओर जहां देशभर में हनुमान जी की पूजा धूमधाम से होती है वहीं उत्तराखंड स्थित द्रोणगिरि गांव के लोग हनुमान जी से इतना नाराज है कि उनकी पूजा नहीं करते और ये नाराजगी आज से नहीं बल्कि उस समय से है जब हनुमान जी संजीवनी बूटी के लिए पूरा पहाड़ उठा ले गए थे।
मान्यता है कि श्री राम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे। तब हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे। हनुमान जी संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ लिया था और इस हिस्से को लंका ले गए थे। इस कारण गांव के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं। ये पर्वत बद्रीनाथ धाम से लगभग 45 किमी दूर स्थित है। यहाँ के स्थानीय निवासी बताते हैं कि आज भी द्रोणागिरी पर्वत का ऊपरी हिस्सा कटा हुआ लगता है। इस हिस्से को हम आसानी से देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे द्रोणगिरि गांव ?
उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ से मलारी की तरफ लगभग 50 किलोमीटर आगे बढ़ने पर जुम्मा नाम की एक जगह आती है। यहीं से द्रोणागिरी गांव के लिए पैदल मार्ग शुरू हो जाता है। यहां धौली गंगा नदी पर बने पुल के दूसरी तरफ सीधे खड़े पहाड़ों की जो श्रृंखला दिखाई देती है, उसे पार करने के बाद द्रोणागिरी पर्वत पहुंच सकते हैं।
प्रत्येक वर्ष जून में गांव के लोग द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा करते हैं। इस पूजा में गांव के लोगों के साथ ही यहां से अन्य राज्यों में रहने गए लोग भी शामिल होने आते हैं।