हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण हुआ था। इस बार बगलामुखी जयंती सोमवार, 9 मई को मनाई जाएगी। तंत्र-मंत्र की प्रमुख देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। मान्यता के अनुसार इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मानी जाती है। कार्यों में सफलता और घर में सुख समृद्धि पाने के लिए इनकी पूजा की जाती है।
विशेष कार्यों में सफलता पाने के लिए इनकी पूजा की जाती है। इन्हें शत्रुनाशिनी भी कहा जाता है। शत्रुओं से बचने के लिए और कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामलों में सफलता पाने के लिए देवी बगलामुखी की आराधना करना श्रेष्ठ माना गया है। धर्म ग्रंथों मे इनका रंग पीला बताया गया है और इन्हें पीले रंग की वस्तुएं ही विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं इसलिए इनका एक नाम पीतांबरा भी है।
ऐसे करें बगलामुखी की पूजा
सुबह सूर्योदय के समय उठकर स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र पहनें। जिस स्थान पर पूजा करनी है वहां गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। मां बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद हाथ में पीले चावल, हल्दी, पीले फूल और दक्षिणा लेकर माता बगलामुखी व्रत का संकल्प करें। देवी को खड़ी हल्दी की माला पहनाएं। पीले फल और फूल चढ़ाएं। पीले रंग की चुनरी अर्पित करें। धूप, दीप और अगरबत्ती लगाएं। फिर पीली मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं। इस दिन शाम को कुछ भी खाए-पिएं नहीं। रात्रि में फलाहार कर सकते हैं। रात में पूजा स्थान के समीप बैठकर देवी बगलामुखी के मंत्रों का जाप करें। अगले दिन पूजा करने के बाद ही भोजन करें।