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किसान अपने खाली खेतों में अवश्य करें ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह के निर्देश के क्रम में शुक्रवार को कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रविंद्र कुमार ने किसानों के लिए गर्मी की खेतों में गहरी जुताई की एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अपने खाली खेतों में अवश्य करें। उन्होंने कहा है कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है। डॉक्टर कुमार ने कहा कि जहां तक संभव हो सके किसान मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें। खाली खेत में गहरी जुताई  मई माह में अवश्य कर लें  इस गहरी जुताई से जो ढेला बनते हैं वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही जुताई से मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां पौधों की जड़ें एवं खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे तक जाते हैं जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खादों/जीवांश पदार्थ  की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं इससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ़  जाती है ।गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप के कारण कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं।

मृदा विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर देवेंद्र कुमार यादव ने बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई से जलवायु का प्रभाव सुचारु रुप से मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधे भोजन के रूप में ले लेते हैं विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉक्टर खलील खान ने बताया कि किसानों को गर्मी की जुताई दो-तीन वर्ष में एक बार अवश्य कर देनी चाहिए। डॉक्टर खान ने बताया कि अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5% तक की कमी आई है।

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