नई दिल्ली। हीरा कारोबार वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ने के लिए भारत सरकार के वाणिज्य विभाग ने मंगलवार को डायमंड इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन (डीआईए) योजना शुरू की। यह योजना प्राकृतिक तौर पर कट और पॉलिश किए गए हीरों के शुल्क मुक्त आयात के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली प्रस्तुत करने के साथ मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देती है। यह योजना 01.04.2025 से लागू होगी जो पात्र निर्यातकों को पिछले तीन वर्षों के अपने औसत कारोबार के 5% तक शुल्क मुक्त, अर्ध-प्रसंस्कृत, अर्ध-कट और टूटे हुए हीरे सहित कटे और पॉलिश किए गए हीरे आयात करने की अनुमति देगी। निर्यातकों को इन आयातों में 10% मूल्य जोड़ना आवश्यक है, जिसका उपयोग आयातक द्वारा किया जाना चाहिए और निर्यात के बाद भी इसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
डायमंड इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन योजना बोत्सवाना, नामीबिया अंगोला आदि जैसे कई प्राकृतिक हीरा खनन देशों में अपनायी गई लाभकारी नीतियों के संदर्भ में बनाई गई है, जहां हीरा निर्माताओं को न्यूनतम प्रतिशत मूल्य संवर्धन के लिए कट और पॉलिशिंग सुविधाएं खोलने की बाध्यता है। इस योजना का उद्देश्य हीरा उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में वैश्विक अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति को बनाए रखना है।
जानकारी के अनुसार यह योजना भारतीय हीरा निर्यातकों, विशेष रूप से एमएसएमई निर्यातकों के लिए समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है, ताकि वे बड़े प्रतिस्पर्धियों के साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकें। इसका लक्ष्य भारतीय हीरा व्यापारियों द्वारा हीरा खनन स्थलों में निवेश की संभावित तेजी को रोकना है। इसके अतिरिक्त, इस योजना से विशेष रूप से हीरा वर्गीकरणकर्ताओं के लिए और कारखानों में अर्ध-तैयार हीरों के तराशने में अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। भारतीय निर्यातकों को सुविधा प्रदान करके, यह घरेलू तौर पर हीरे तराशने के उद्योग की रक्षा करना और संबंधित रोजगार को बनाए रखना चाहता है।