फतेहपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित थरियांव स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सात दिवसीय मौन (मधुमक्खी) पालन का प्रशिक्षण मुख्य अतिथि डॉक्टर धर्मराज सिंह (डीन) कृषि महाविद्यालय के द्वारा दीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 25/10/2021 से 31/10/ 2021 तक चलेगा।
सात दिवसीय प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉक्टर धर्मराज सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि इस धरती पर कीटों का प्रभाव 300 मिलियन वर्ष से है। जबकि मनुष्यों का प्रादुर्भाव 60 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ। उन्होंने बताया कि गुरुवर रविंद्र नाथ टैगोर से जब पूछा गया कि ईश्वर /भगवान कहां है। उन्होंने बताया कि हमारा किसान जब भरी दुपहरी में हल चलाता है। तो हल से बने कूँढ में जिस जगह पर कृषक का पसीना गिरता है उस स्थान पर ईश्वर रहता है।
केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.साधना वैश्य ने प्रशिक्षणार्थियों को मधुमक्खी पालन की विशेषता से अवगत कराया। डॉक्टर देवेंद्र स्वरूप वैज्ञानिक पशु विज्ञान ने मधुमक्खी पालन से कैसे किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं, इस पर चर्चा की। डॉक्टर नौशाद आलम वैज्ञानिक कृषि प्रसार ने प्रशिक्षण में जैविक खेती एवं वर्मी कंपोस्ट का मौन पालन में उपयोगिता को विस्तार से बताया। डॉक्टर जगदीश किशोर वैज्ञानिक फसल सुरक्षा ने मधुमक्खी पालन कैसे एक व्यवसायिक रूप ले सके तथा कृषक इसका उपयोग अपनी खेती में और उसकी आय वृद्धि में भरसक उपयोग कर सकें जिस पर चर्चा किया। डॉ. अलका कटियार वैज्ञानिक गृह विज्ञान ने औषधि व सुगंधी पौधों के मौन पालन में उपयोगिता बताई तथा सचिन शुक्ला मौसम विज्ञान ने मौसम का क्या रोल मौन पालन में है जिस पर चर्चा की तथा इस प्रशिक्षण में घनश्याम कंप्यूटर प्रोगामर ने सहयोग किया। कार्यक्रम के बाद केंद्र पर स्थित सभी इकाइयों का भ्रमण भी किया गया।