नई दिल्ली। अप्रैल-अक्टूबर (2021-22) के दौरान 114 मिलियन डॉलर के मूल्य के साथ 1,23,846 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात कर भारत दुनिया में खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। भारत ने पिछले वित्त वर्ष में कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के निर्यात का 200 मिलियन अमरीकी डालर का आंकड़ा पार कर लिया है। खीरे के इस प्रोसेस्ड प्रोडक्ट को वैश्विक स्तर पर गेरकिंस या कॉर्निचंस के रूप में जाना जाता है। खीरे को ककड़ी और खीरे के तहत दो श्रेणियों में निर्यात किया जाता है. इन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है।
बता दें, खीरे की खेती, प्रोसेसिंग और निर्यात की शुरुआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक में छोटे स्तर पर हुई थी। बाद में पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से खीरे को प्रोसेसिंग कर निर्यात किया जाने लगा। खीरे को वर्तमान में 20 से अधिक देशों को निर्यात किया जाता है, जिसमें प्रमुख देश उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजरायल हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, एपीडा ने प्रोसेसिंग सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और प्रोसेस्ड खीरे की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रोसेसिंग यूनिट में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। विदेशी खरीदारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
विश्व की खीरा आवश्यकता का लगभग 15 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़ के वार्षिक उत्पादन क्षेत्र के साथ खीरे की खेती की जाती है। खीरे की 90 दिन की फसल होती है और किसान वार्षिक रूप से दो फसल लेते हैं। औसतन एक खीरा किसान प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है।
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