लखनऊ। आम यानी जिसमें कुछ भी खास ना हो। आम आदमी पर एक ‘आम’ नाटक। एक आदमी का क्या रोल है किसी सिस्टम या व्यवस्था में? क्या कभी इसके बारे में सोचा है किसी ने? बहुत से आदमियों के कारण ही कुछ लोग खास हो पाते हैं। कुछ खास लोग इन्हीं आम लोगों में से निकलते हैं। इसी विषय पर आधारित नाटक ‘आम’ का मंचन गुरुवार को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि रंगशाला, गोमती नगर में किया गया।
अभिव्यक्ति, शैक्षिक और सामाजिक संस्था द्वारा प्रस्तुत, जिया खान- शिशिर सिंह द्वारा निर्देशित इस नाटक में मुख्य पात्र एक सरकारी ऑफिस में काम करने वाला महेश प्रसाद (जिया खान) अपनी स्थिति को स्वीकार कर आम बने रहने में ही संतुष्ट है। महेश जैसे लोग सब कुछ सहने के आदी हो जाते हैं। वही महेश के साथी कर्मचारी शेखर (अजहर अली) और जमाल (अजय सिंह) आम से खास होने के संघर्ष में रहते हैं। इस नाटक में उदय सिंह यादव, अविनाश सिंह, तूलिका बनर्जी, शुभ्रा पांडेय, रवि गुप्ता, रश्मि सिंह, हिमांशु अग्रवाल, हामिद काजिम ने शानदार भूमिका निभाई। नाटक में प्रकाश व्यवस्था मोहम्मद हफीज, रूप सज्जा शहीर और मंच व्यवस्था आशुतोष विश्वकर्मा की रही। मीडिया प्रभारी नीरज सचान ने बताया कि नए और पुराने कलाकारों के साथ नाटक की प्रस्तुति इतनी शानदार रही कि अंत तक दर्शक अपनी सीटों पर जमे रहे।