कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा भारत के 75 वें स्वतंत्रता वर्ष के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत नवभारत के निर्माण हेतु कृषि में परिवर्तन विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह की अध्यक्षता में कार्यक्रम संपन्न हुआ। निदेशक शोध डॉक्टर एच जी प्रकाश एवं अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉक्टर धर्मराज सिंह द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता देश के ख्यातिलब्ध वैज्ञानिक पद्म भूषण डॉक्टर राम बदन सिंह उपस्थित रहे। उन्होंने नवभारत के निर्माण में कृषि व कृषि से संबद्ध विषयों में सुधार कर देश की 135 करोड़ आबादी के लिए समुचित खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने पर नीतिगत पहलुओं की चर्चा की।
चर्चा के दौरान डॉ. सिंह ने देश में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि हेतु कृषि वैज्ञानिकों एवं देश के किसानों को बधाई देते हुए बताया कि वर्ष 1950 से 2020 तक खाद्यान्न उत्पादन में 6 गुना बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि खाद्यान्न उत्पादन में 6 गुना, उद्यानिकी फसलों में 10 गुना, दूध में 12 गुना, एवं मत्स्य में 16 गुना वृद्धि हुई है। जिससे गरीबी व कुपोषण में दो तिहाई की कमी आई है। डॉक्टर सिंह ने श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को याद करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ही देश में आज दूध की उपलब्धता 400 ग्राम प्रति व्यक्ति उपलब्धि हो गई है। जो कि विश्व की 285 ग्राम प्रति व्यक्ति उपलब्धता से बहुत अधिक है। डॉ. सिंह ने कहा की उन्होंने दूध उत्पादन हेतु 150 लाख किसानों को जोड़कर 1 लाख 45 हजार गांव में दुग्ध उत्पादन समितियों की स्थापना की। जिससे दुग्ध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 400 ग्राम संभव हो सकी है और देश को विश्व का दूध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर डॉ. सिंह ने कहा कि खाद्यान्न, दलहन, तिलहन एवं साग भाजी फसलों में अधिक व गुणवत्ता युक्त उत्पादन हेतु शोध में आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का समावेश आवश्यक है। इस अवसर पर उन्होंने कृषि में नैनो तकनीक की भी बात की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे है विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने विश्वविद्यालय के समस्त संकाय सदस्यों का आवाहन किया है। कि डॉ राम बदन द्वारा नीतिगत सुझावों को अपने शोध, प्रसार एवं शैक्षणिक कार्यों में समाहित करें।इस अवसर पर डॉक्टर एच जी प्रकाश ने स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 295 से अधिक प्रजातियां जिनमें 88 खाद्यान्न, 85 तिलहन, 54 दलहन, 58 साग भाजी फसलों की प्रजातियों के बारे में बताया उन्होंने बताया कि यह प्रजातियां किसानों में काफी लोकप्रिय हैं। तथा विश्वविद्यालय की तकनीकी का किसान लाभ उठा रहे हैं। जिसमें जलागम व ग्रीष्मकालीन मूंगफली खेती तकनीक को विभिन्न संस्थानों द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। हरित क्रांति में विश्वविद्यालय का उल्लेखनीय योगदान हेतु विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम में सभी अतिथियों को धन्यवाद डॉक्टर धर्मराज सिंह अधिष्ठाता कृषि संकाय ने किया। इस कार्यक्रम में सभी निदेशक, अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।