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नहीं रहीं अनाथ बच्चों की मां, सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री सिंधुताई सपकाल

नई दिल्ली। जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री से सम्मानित सिंधुताई सपकाल का मंगलवार रात निधन हो गया है। वह 74 साल की थीं और पुणे के गैलेक्सी हॉस्पिटल में भर्ती थीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वो करीब डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थीं। हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हुआ। कुछ समय पहले उनका एक ऑपरेशन भी हुआ था। 

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सिंधुताई ने कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए हजारों अनाथों की देखभाल की। सिंधुताई को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा कहा जाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुजार दी। बेघर बच्चों की देखरेख करने वाली सिंधुताई के लिए कहा जाता है कि इनके 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से ज्यादा दामाद हैं। 

महाराष्ट्र के वर्धा जिले के एक सामान्य गोपालक परिवार में सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवंबर, 1948 को हुआ था। सिंधुताई को 700 से ज्यादा सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन्हें अब तक मिले सम्मान से जो भी रकम मिली थी, वह उन्होंने बच्चों के पालन-पोषण में खर्च कर दी। सिंधुताई को DY पाटिल इंस्टिट्यूट की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई। उनके जीवन पर बनी एक मराठी फिल्म ‘मी सिंधुताई सपकाल’ साल 2010 में रिलीज हुई थी, जिसे 54वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया गया था।

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