Breaking News

समाज के शोषितों, वंचितों के मसीहा छत्रपति शाहूजी महाराज को उनके परिनिर्वाण दिवस पर किया जा रहा है याद

भारत में नौकरियों में आरक्षण के जनक, अपने राज्य में छुआछूत खत्म करने वाले, डॉ. अंबेडकर को शिक्षा और फिर अपना अख़बार ‘मूकनायक’ शुरू करने के लिए आर्थिक मदद देने वाले, शिवाजी महाराज के वंशज कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज को परिनिर्वाण दिवस पर आज उन्हें याद किया जा रहा है। 26 जून 1874 को पैदा हुए शाहूजी महाराज, महाप्रतापी छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे। 

शाहूजी महाराज ने ही बाबासाहेब आंबेडकर समेत उन सभी राजनेता और समाज सुधारकों की नैतिक और आर्थिक मदद की, जो मानवतावादी आंदोलन को आगे ले जाने का प्रयास कर रहे थे। शाहूजी महाराज भारत में मानवतावादी आंदोलन की नींव के वह ईंट थे, जिनके बिना इस आंदोलन की कल्पना भी मुश्किल थी। शाहूजी महाराज ने पढ़ाई के लिए डॉ. आंबेडकर को न केवल लंदन में वित्तीय मदद भिजवाई, बल्कि उनकी पत्नी रमाबाई आंबेडकर की भी वित्तीय मदद की थी। 

छत्रपति शाहूजी महाराज हैं आरक्षण व्यवस्था के जनक

आरक्षण की अवधारणा छत्रपति शाहूजी महाराज के राज्य कोल्हापुर से ही जन्मी  है। उन्होंने 26 जुलाई 1902 को अपने एक आदेश से कोल्हापुर रियासत की 50 प्रतिशत सीटों को पिछड़ी जाति के लोगों के लिए आरक्षित कर दिया था। पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के पीछे महाराज का विचार था कि इससे इन जातियों में समृद्धि आएगी और इनका आत्मबल भी बढ़ेगा। यह एक क्रांतिकारी क़दम था, उनके इस फैसले ने यह आगे चलकर आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था करने की राह दिखाई।

शाहूजी महाराज अपने राज्य में छुआछूत की समाप्ति के लिए लगातार काम कर रहे थे। 15 जनवरी 1919 के अपने एक आदेश में शाहूजी महाराज ने रियासत के सभी अधिकारियों-राजस्व, न्यायिक और अन्य- को यह आदेश जारी किया कि कोई भी अधिकारी अगर छुआछूत करते हुए मिला तो उसे राज्य की सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। शाहूजी महाराज ने 3 मई 1920 को कोल्हापुर राज्य में बंधुआ और बेगार मजदूरी पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

महाराज छत्रपति शाहूजी से जुड़ा एक किस्सा है, उन्होंने अपने दलित सेवक गंगाराम कांबले की चाय की दुकान खुलने पर वहाँ चाय पीने जाने का फ़ैसला किया, उस समय यह कोई मामूली बात नहीं थी। उन्होंने कांबले से पूछा, तुमने अपनी दुकान के बोर्ड पर अपना नाम क्यों नहीं लिखा है? इस पर कांबले ने कहा कि दुकान के बाहर दुकानदार का नाम और जाति लिखना कोई ज़रूरी तो नहीं। महाराज ने चुटकी ली, ऐसा लगता है कि तुमने पूरे शहर का धर्म भ्रष्ट कर दिया है। कांबले की दुकान पर महाराजा के चाय पीने की ख़बर कोल्हापुर शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई. इस अदभुत घटना को अपनी आँखों से देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे। महाराज ने भारी भीड़ की मौजूदगी में कांबले की चाय का आनंद लिया। चाय पीने के बाद महाराज ने गंगाराम कांबले से कहा, कि सिर्फ़ चाय ही नहीं, बल्कि सोडा बनाने की मशीन भी खरीद लो। राजर्षि महाराज के नाम से मशहूर शाहू जी ने कांबले को सोडा मशीन के लिए भी पैसे दिए। 

06 मई 1922 को शाहू जी महाराज की मृत्यु की खबर सुनते ही लन्दन से डॉ. अंबेडकर ने अपने शोक संदेश में लिखा कि मेरा एक महान उपकारी संरक्षक एवं शोषित, वंचितों का मसीहा चला गया।

About rionews24

Check Also

‘3D कंक्रीट प्रिंटर ए न्यू इमर्जिंग कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी’ विषय पर व्याख्यान का हुआ आयोजन

सुल्तानपुर। कमला नेहरु प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में बुधवार को ‘3D कंक्रीट प्रिंटर …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *