कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित अनौगी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर सी.के. राय ने बताया कि सर्द हवाओं के चलने से वातावरण में ठंडक एकाएक बढ़ गई है। ऐसे में पशुपालक सर्दी से अपने पशुओं को बचाएं। उन्होंने बताया कि इस मौसम में गाय, भैंस, बैल अथवा नवजात गौवत्स हों, सभी पर प्रभाव पड़ता है तथा दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है। यदि उचित प्रबंधन न किया जाए तो पशुओं की असामयिक मृत्यु भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि जाड़े में होने वाली बरसात के भीगने से पशुओं को निमोनिया, सर्दी,खांसी, जुकाम तथा हाइपोथर्मिया इत्यादि रोग हो जाते हैं। जिनसे पशुओं का बचाव करना आवश्यक है।
डॉक्टर राय ने बताया कि रोग की आशंका होते ही रोगी पशु को अन्य निरोगी पशुओं से अलग करके बांधना चाहिए। डॉक्टर राय ने पशुपालकों को सलाह दी है कि पशु को सर्दी लगने पर 20 ग्राम नौसादर, 20 ग्राम सोंठ, 20 ग्राम मेंथा का तेल या 5 ग्राम कपूर को 250 ग्राम गुड़ में चटनी बनाकर खिलाने से लाभ मिलता है। पशुसाला का फर्श गिला नहीं होना चाहिए तथा पशु को टाट( जूट) के बोरों की झोल से ढकना भी चाहिए। उन्होंने यह भी सलाह दी है की ठंडी हवा के प्रकोप से बचाव हेतु खिड़कियों एवं दरवाजों पर जूट के बोरों के पर्दे लगाना चाहिए। जाड़ों में पशुओं को अंतः एवं वाहय परजीवीओं का प्रकोप बढ़ जाता है। वाहय परजीवीओं हेतु ब्यूटॉक्स और अंतः परजीवियों हेतु फेंवेंडोज़ोल पशु चिकित्सक की सलाह पर देना चाहिए तथा पशुओं को सदैव ताजा पानी पिलाना चाहिए। डॉक्टर राय ने कहा कि निसंदेह इन तकनीकों को ध्यान में रखकर पशुपालक पशुओं को जाड़े के कुप्रभाव से बचाकर अधिक दुग्ध उत्पादन एवं आमदनी प्राप्त करने में सक्षम होंगे।