नई दिल्ली। पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार शनिवार 26 अप्रैल, 2025 को होगा। उस दिन राजकीय शोक मनाया जाएगा। 26 अप्रैल, 2025 को पूरे भारत में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और आधिकारिक तौर पर मनोरंजन का कोई कार्यक्रम नहीं होगा। भारत सरकार ने पोप फ्रांसिस के निधन पर सम्मान स्वरूप तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। 22 अप्रैल और 23 अप्रैल, 2025 को दो दिवसीय राजकीय शोक मनाया गया तथा अंतिम संस्कार के दिन एक दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा।
यूपी में भी राज्य सरकार ने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा था, ‘कैथोलिक ईसाई समुदाय के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं वैश्विक कैथोलिक समुदाय के साथ हैं।
बता दें, रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास पर सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने इसकी आधिकारिक घोषणा की।
1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था। वे 13 मार्च 2013 को पोप बने और और 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। वे लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया और ब्रोंकाइटिस के कारण रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था। लगभग 38 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद, 23 मार्च को उन्हें छुट्टी दी गई थी और डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी थी।
सामाजिक न्याय और सहिष्णुता के पक्षधर
पोप फ्रांसिस ने अपने 12 साल के कार्यकाल में अपनी सादगी, दया, करुणा और गरीबों के प्रति सहानुभूति के लिए विश्व भर में ख्याति प्राप्त की। उनके नेतृत्व में कैथोलिक चर्च ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया।