कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहे चार दिवसीय उद्यानिकी फसलों एवं जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन सोमवार को हरियाणा उद्यान विभाग के महानिदेशक डॉ. अर्जुन सिंह सैनी ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वर्टिकल विधि व जल स्रोतों के प्रबंधन से उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता में अधिक बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि औसतन पारंपरिक सिंचाई की तुलना में सूक्ष्म विकसित सिंचाई विधियों से 50 से 60% जल की बचत हो जाती है। इस विधि से सतह का आंशिक हिस्सा गीला होता है। इसलिए खेत में खरपतवार भी कम होते हैं। डॉक्टर सैनी ने बताया कि ऊंची-नीची व ढलान वाले खेतों को बिना समतल किए हुए ड्रिप प्रणाली से फल एवं सब्जियों की खेती बिना अतिरिक्त खर्च के सफलतापूर्वक हो जाती है।
इस अवसर पर जलगांव महाराष्ट्र के जैन इरिगेशन के उपाध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय केला विशेषज्ञ डॉक्टर के. बी. पाटील ने आधुनिक तकनीकी के साथ केले की खेती विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक से आशय केले उत्पादन के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव आधुनिक सिंचाई पद्धति को अपनाने और बिक्री की परंपरागत जगहों के साथ-साथ अपने उत्पाद के लिए नए बाजारों को तलाशने और वहां तक अपने उत्पाद को पहुंचाने से है। उन्होंने कहा कि केले की खेती 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान व 6-6.6 पीएच वाली मृदाओं में सफलतापूर्वक की जाती है। उन्होंने बताया कि टिश्यू कल्चर विधि से उत्तर प्रदेश में केले का क्षेत्रफल बढ़ रहा है।
इस अवसर पर कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि फल एवं सब्जियों के उत्पादन में विश्व में भारत दूसरे स्थान पर है। उन्होंने वैज्ञानिकों का आवाहन किया कि नए शोधों के द्वारा विश्व पटल पर देश को प्रथम स्थान पर कृषि उत्पाद को करना है।
इस अवसर पर कृषकों को उद्यान रत्न से भी सम्मानित किया गया। जबकि देश के विभिन्न हिस्सों से आए वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कृषकों के लिए क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया तथा विजेता कृषकों को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर अमित सिंह मेमोरियल अवार्डी नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के अंत में कुलपति डॉक्टर डी. आर. सिंह ने कहा कि हमारी खेतों की जोत कम हो रही है इसलिए नई तकनीक किसान अपनाएं जिससे कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन किया जा सके। उन्होंने कहा कि जो वैज्ञानिकों की संस्तुतियां आई हैं, उसे संकलित कर केंद्र एवं राज्य सरकार को भेजी जाएंगी। पूर्व महानिदेशक आईसीएआर उद्यान डॉक्टर एच.पी. सिंह ने सभी के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।फाउंडेशन की बबीता सिंह ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम सचिव डॉ. करम हुसैन ने बताया कि जो वैज्ञानिकों द्वारा मंथन हो रहा है उससे कृषि जगत में नई क्रांति अवश्य आएगी। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर श्वेता यादव ने किया। इस अवसर पर वैज्ञानिक, किसान, शोध छात्र उपस्थित रहे।