Breaking News

16 जून से बदल जाएगी बिहार की पंचायती राज व्यवस्था, गांव की सरकार अब चलेगी इस प्रकार

पटना। गांवों में जारी विकास कार्यों की गति सुचारू रखने के लिए बिहार की सरकार ने नया रास्ता ढूंढा है। बिहार में ऐसा पहली बार होगा, जब त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की जगह एक नई व्यवस्था की गई है। बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का काम 16 जून से परामर्शी समितियां संभालेंगी। इसके लिए पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया गया। बिहार कैबिनेट ने मंगलवार को ही इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। इसके बाद प्रस्ताव को राज्यपाल को भेजा गया था। राज्यपाल से सहमति मिलने के बाद सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया। इसके तहत ग्राम पंचायत- ग्राम परामर्श समिति, पंचायत समिति-पंचायत परामर्शीय समिति और जिला परिषद-जिला परामर्श समिति बन जाएगी। मुखिया कहे जाएंगे- प्रधान, परामर्शीय समिति, ग्राम पंचायत प्रमुख कहे जाएंगे- प्रधान, परामर्श समिति, पंचायत समिति जिला परिषद अध्यक्ष कहे जाएंगे- प्रधान परामर्शीय समिति, जिला परिषद।

ऐसे काम करेंगे पंचायत के मुखिया

16 जून से पंचायत के मुखिया परामर्श समिति के अध्यक्ष होंगे। विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ग्राम पंचायत के प्रधान सदस्य रहेंगे। मुखिया का पदनाम प्रधान परामर्शीय समिति ग्राम पंचायत होगा। प्रधान परामर्शी समिति वो सभी काम करेगी, जो एक निर्वाचित मुखिया करते हैं। उसी तरह प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, अंचल निरीक्षक और प्रखंड समन्वयक कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे। समिति की बैठक में मौजूद रहेंगे। इन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा। योजनाओं में अनियमितता को रोकने और विभाग के संज्ञान में लाने की जिम्मेदारी इनकी होगी।

बिहार में पंचायत समिति की कुल संख्या 11 हजार 491 है। 16 जून के बाद पंचायत समिति के कार्यों के संचालन के लिए समिति के अध्यक्ष (प्रमुख) विघटित पंचायत समिति के प्रमुख होंगे। प्रमुख और पंचायत समिति के सभी सदस्य, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी और BDO समिति के सदस्य होंगे। परामर्श समिति के अध्यक्ष का पदनाम प्रमुख की जगह प्रधान परामर्शीय समिति, पंचायत समिति होगा। ये सभी कार्य निर्वाचित प्रमुख की तरह करेंगे। सरकारी सेवक सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे।

यह बिहार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश-2021 कहा जाएगा। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा में संशोधन कर नई उपधारा 5 जोड़ी गई। इसके तहत 5 वर्षों की अवधि खत्म होने से पहले अगर किसी कारण से किसी ग्राम पंचायत का आम निर्वाचन कराना संभव नहीं हो तो उस अवधि के पूरा होने पर वह ग्राम पंचायत भंग हो जाएगी। इस अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत में निहित सभी शक्ति प्रयोग या संपादन ऐसी परामर्शीय समिति करेगी जिसे राज्य सरकार के अधिसूचना से गठित किया गया हो। इस अध्यादेश के माध्यम से अब वार्ड, पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का काम परामर्शी समितियों के जिम्मे होगा। बिहार में ग्राम पंचायत की कुल संख्या 8 हजार 442 है। हालांकि ग्राम पंचायत का विलय नगर परिषद में होने के कारण वर्तमान में ग्राम पंचायतों की संख्या 8 हजार 386 रह गई है। वार्ड सदस्यों की बात करें तो राज्य में वार्ड सदस्यों की संख्या 1 लाख 14 हजार 667 है।

About rionews24

Check Also

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रवक्ता बनाये गए अरुण चंदेल

लखनऊ। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के नव निर्वाचित कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष/प्रवक्ता अरुण सिंह चंदेल और …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *