एटा। कृषि विज्ञान केंद्र, अवागढ की ओर से सोमवार को फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम 2020-21 के अंतर्गत एक ‘वृहद किसान मेला एवं कृषक गोष्ठी 2020-21’ का आयोजन किया गया। इस किसान मेले में जनपद अटारी के विभिन्न ग्रामों के 400 से अधिक किसानों द्वारा सहभागिता की गई। मेले का शुभारंभ जिलाधिकारी एटा डा0 विभा चहल के द्वारा किया गया। इस अवसर पर देश के जाने-माने कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. के. के. सिंह जी द्वारा जी उपस्थित रहे। उन्होंने किसानों के हित में विकसित कृषि मौसम पूर्वानुमान और एग्रोमीटरोलॉजी कल एडवाइजरी सर्विसेज प्रणाली की स्थापना में विकास में आप की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से जनपद में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर किसानों को कृषि मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। किसान मेले की अध्यक्षता भानु प्रताप सिंह चौहान सचिव प्रबंध समिति आरबीएस कॉलेज आगरा द्वारा की गई।
इस अवसर पर आईसीएआर-अटारी, जोन 3, कानपुर के निदेशक डॉ अतर सिंह ने किसानों को बताया की फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम अपनाकर किसान अपनी भूमि की उर्वरता बढ़ा सकते हैं। क्योंकि खेत में पराली जलाने से वतावरण दूषित होता है परिणाम स्वरुप सांस रोगियों को परेशानी होती है। पराली जलाने से पोषक तत्वो का विनाश होता है। मेले में पधारे विशिष्ट अतिथि युवराज अम्बरीश पाल सिंह ने कहा कृषि विज्ञान केंद्र आवागढ एटा के किसानों के हित में गत 1984 से कार्य कर रहा है। अब किसानों के हित में केंद्र मत्स्य पालन पर एक आईएफएस मोडल विकसित किया है। अब किसान उत्पादक संगठन गठन करना है। किसान मेले में कॉलेज के छात्र छात्राओं द्वारा उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग विभिन्न बीज एवं खाद कंपनियों द्वारा आयसर, महिंद्रा ट्रैक्टर द्वारा स्टॉल लगाए गए।
किसान गोष्ठी में बोलते हुए उप निदेशक कृषि प्रसार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के संदर्भ में मछली पालन का प्रोत्साहन व विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी। उप-निदेशक कृषि महेंद्र सिंह द्वारा भी किसानों को जानकारी दी गई। आरबीएस कॉलेज आगरा के प्राचार्य डॉ यू एन सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड डॉ मनीष सिंह द्वारा कृषक गोष्ठी का संचालन किया गया। इस अवसर पर अन्य कृषि वैग्यानिक मौजूद रहे।