कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह के निर्देश के क्रम में शुक्रवार मत्स्य प्रभारी डॉ. आनंद स्वरूप श्रीवास्तव ने मत्स्य उत्पादकों हेतु एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में कोहरे एवं बादल की वजह से मत्स्य तालाबों में समुचित सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाता है। जिसके कारण जलीय पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप तालाब के जल में घुलित ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि मत्स्य तालाबों में ऑक्सीजन की मात्रा 5 पीपीएम आवश्यक होती है। ऐसी स्थिति में मत्स्य पालक जब तालाब में देखें की मछलियां ऊपर की सतह पर आकर अपना मुंह पानी के ऊपर निकाल रही हैं।तो मत्स्य पालक को समझ लेना चाहिए की पानी में ऑक्सीजन की कमी हो गई है। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में पानी को डंडे से पीटकर या मानव श्रम द्वारा पानी में उथल-पुथल करने से वातावरण की ऑक्सीजन पानी में घुल जाती है। ताजे पानी के फव्वारे के रूप में तालाब में डालने से ऑक्सीजन की कमी से बचा जा सकता है। विषम परिस्थितियों में ऑक्सीजन का संतुलन बनाने हेतु लाल दवा (पोटैशियम परमैग्नेट) तालाब में के जल में मिलाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सर्दियों के मौसम में धूप की कमी से दूसरी समस्या तालाबों में एल्गल ब्लूम की है। इसमें तालाब का पानी अत्यधिक हरे रंग का हो जाता है और उसमें एलगी बहुतायत मात्रा में हो जाती है जिसके कारण मछलियां की मृत्यु होने लगती है। ऐसी स्थिति में जाल चलाकर एलगी का निवारण करना चाहिए तथा चूने का प्रयोग वैज्ञानिक या विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार प्रयोग कर पानी के पीएच मान को 7.5 निर्धारित रखना चाहिए। इस प्रकार एलगी का नियंत्रण हो जाएगा।
भोजन के रूप में मछलियों को चावल का कना और सरसों की खली को बराबर मात्रा में मिला कर प्रातः काल एक निश्चित समय पर निश्चित स्थान पर प्रतिदिन देना चाहिए। साथ ही पानी मे उथल पुथल करके मछलियों को भाग दौड़ करा कर उनका व्यायाम भी आवश्यक है इससे मछलिया भोजन भी ग्रहण करेंगी और उनकी बढ़वार भी ठीक रहेगी। सर्दियों के मौसम में मछलियों की बढ़ोतरी कम होती है क्योंकि मछलियों के बढ़वार के लिए तालाब के पानी का तापमान 25 से 30 डिग्री है ऐसे में उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि पानी की आपूर्ति फव्वारे के रूप में करते रहें जिससे मछलियों की बढ़वार लगातार जारी रहे।