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आईआईटी कानपुर के वार्षिक तकनीकी और उद्यमशील उत्सव टेककृति का तीन दिवसीय 27वाँ संस्करण हुआ सम्पन्न, मनोरंजन के साथ हुईं प्रेरणादयक और सूचनात्मक वार्ताएं

कानपुर। आईआईटी के वार्षिक तकनीकी और उद्यमशील उत्सव टेककृति के 27वें संस्करण समापन रविवार को हुआ। टेककृति की शुरुआत शुक्रवार को अभिषेक सिंह, सीईओ-डिजिटल इंडिया, आई आई टी कानपुर में छात्र मामलों के डीन, प्रोफेसर सिद्धार्थ पांडा और टेककृति के फेस्टिवल चेयरमैन द्वारा किया गया था। 
टेककृति’ 21 के पहले दिन जहां पद्म भूषण अवार्डी विकास सिन्हा ने इस बात की चर्चा करते हुए कहा कि आज का विज्ञान कल की तकनीक कैसे है। उन्होंने इस तथ्य के साथ शुरुआत की कि प्रौद्योगिकी आवश्यकता से बाहर है और ज्यादातर समय यह विज्ञान पर हावी है फिर उन्होंने मौलिक विज्ञान के महत्व पर जोर दिया और युवा दिमागों को इसके महत्व को कम नहीं आंकने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सभी युवाओं से विज्ञान के व्यापक सार को समझने का आग्रह किया। आश्चर्य के जादू के बारे में अपने विचार को रखा। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात रटना नहीं है, बल्कि आश्चर्य करना है। सूर्य, चंद्रमा और पूरी आकाशगंगा कैसे एक चमत्कार से भरा क्षेत्र है। उन्होंने यह कहते हुए प्रेरित किया कि मनुष्य इस शोध को करने के लिए खुश नहीं हो सकता है और केवल अपने लिए और राष्ट्र निर्माण में कुछ योगदान देना चाहिए और दूसरों के लिए कुछ उपयोग करना चाहिए। खुद को कहने के लिए युवा मन को प्रोत्साहित किया, मैं कुछ खोजूंगा। कहा, हम इतने कम हैं लेकिन इतने बड़े दावे करते हैं। अंत में, जोर देकर कहा कि आज के छात्रों में रुचि और सपनों की कमी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को हार नहीं माननी चाहिए। कठिन प्रयास करें, लेकिन परिस्थितियों को कभी दूर न करें।इसके साथ-साथ, स्टार्टअप और उद्यमशीलता, रोबोटिक्स और प्रोग्रामिंग भाषा पायथन पर कुल 3 कार्यशालाएं की गईं, जिनमें बड़ी संख्या में प्रतिभागी थे।

वहीं टेककृति’ 21 के दूसरेे दिन मशहूर टीवी शो ‘द सिम्पसंस’ के प्रमुख एनिमेटर पीट मिशेल के साथ बातचीत शुरू हुई। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उन्होंने द सिम्पसंस शो के साथ शुरुआत की और अब वह अद्भुत और बहुत स्पष्ट और मजाकिया एनिमेटेड शो रिक और मोर्टी के पीछे व्यक्ति है। पीट में एक स्लाइड शो भी शामिल है जहां उन्होंने कुछ प्रकाश डाला कि कैसे 2 डी एनीमेशन वर्षों मं, विकसित हुआ है और ठीक विवरणों का पता लगाने के लिए एनिमेटरों को बाहर देखना होगा। एनिमेशन के तकनीकी और कला दोनों पहलुओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा “वास्तविक कला वह है जहाँ भाव आते हैं, एक एनिमेटर एक अभिनेता बन जाता है और वह सबसे अच्छा हिस्सा होता है! बाकी सब तकनीकी है। एनीमेशन का पता लगाने के लिए और उन्होंने कहा कि एक पेशेवर होने के नाते, आपको अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए कुछ परीक्षाएं देनी पड़ सकती हैं, लेकिन आपको हमेशा अपनी कला को बाहर लाने के लिए ड्राइंग और नए सामान की खोज करते रहना होगा।एनीमेशन पर बात करने के बाद, स्टार्टअप बबल पर पैनल डिस्कशन किया। मृदुला गर्ग ने मनुष्यों और प्रकृति के बीच चल रहे युद्ध पे मार्मिक कविता के साथ सभी को झनकझिर्ने वाली वार्तालाप की। नेशनल फिल्म अवॉर्ड के विजेता बाहुबली फिल्म में स्पेशल इफेक्ट्स देने वाले श्रीनिवास मोहन जी ने ड्रॉइंग और विचारों को कैसे उकेरा जाता है फिल्म में ये बताया।एमपी3 मेथड की आविष्कारक karlheinz Brandenburg ने बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़े कई फैक्ट्स बताए।

टेककृति के 27वें संस्करण के तीसरेे और अंतिम दिन रविवार को जॉन हेनरी श्वार्ज़ ने स्ट्रिंग सिद्धांत और 50 वर्षों से अधिक में उनके शोध के बारे में बताया। 1971 में पियरे रामोंड, आंद्रे नेवु और जॉन श्वार्ज़ ने दूसरा स्ट्रिंग सिद्धांत (सुपरस्ट्रिंग्स) पाया। इसका समापन एक अतिरिक्त आयाम पर बात कर एवं किस तरह एक नया सिद्धांत इन नए आयामों को खोज सकता है पर चर्चा करके किया गया। इस सिद्धांत का पुष्टीकरण अभी चल ही रहा है और दुनिया भर के कई महान शोधकर्ता इस सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। जेफ़री उल्ल्मन ने अपनी बात में तर्क दिया कि कैसे मशीन लर्निंग और डेटा साइंस, दोनों पूरी तरह से अलग-अलग क्षेत्र हैं। सांख्यिकीविद डेटा साइंस को अपनी तरह से देखते हैं। आज तक जो भी डेटाबेस वाले लोग करते आ रहे हैं, डाटा साइंस इन सबका एक क्रमागत विकास है। अपनी बात को विराम देते हुए उल्ल्मन ने मुख्यतः दो बातें कहीं। पहली यह कि डाटा साइंस  कंप्यूटर साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के तरीकों में एक क्रमागत उन्नति है। सांख्यिकीविदों ने इसे लगभग सही पाया लेकिन लोगों की समस्याओं को हल करने के बजाय उन्होंने विश्लेषण पर अपना ध्यान केंद्रित किया। भारत और साउथ एशिया में लार्सन एंड टूर्बो के प्रतिनिधि ,कौस्तुव बागची, ने अपनी बात में LnT का प्रतिनिधित्व किया और LnT की टीम किस प्रकार लगातार तकनीकी प्रगति के लिए काम करती है, इसका भी बखूबी बखान किया । 
अनिल काकोडकर एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी हैं। वह भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव थे।  वह 1996-2000 से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक रह चुके हैं। अपनी बात में उन्होंने जलवायु परिवर्तन का सामना करने और संसाधनों का उपयोग करने में विकसित देशों और भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बीच अंतर बताया। उन्होंने कहा कि अगर समस्या को नजरअंदाज किया गया तो मानव अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जापान और जर्मनी के दृष्टिकोण का उदाहरण दिया। साथ ही 2050 तक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत की विद्युत उत्पादन योजना के लिए एक रणनीति दी। बायोमास, सौर, परमाणु ऊर्जा के उपयोग की तरह बिजली से परे डिकार्बोनाइजिंग ऊर्जा पर ध्यान आकर्षित किया। विकसित की जाने वाली अन्य महत्वपूर्ण तकनीकों को सूचीबद्ध किया। फिर उन्होंने शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के तरीके में आगे की चुनौतियों के बारे में बात करके अपनी ज्ञानवर्धक बातों का समापन किया।

एथिकल हैकिंग और साइबर सिक्योरिटी, ऑटोमोटिव इंजन और आईसी इंजन, मशीन लर्निंग, वेब डेवलपमेंट, ड्रोन क्वाडकॉप्टर, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और एंड्रॉइड डेवलपमेंट पर कार्यशालाएं हुईं। तकनीकी और उद्यमिता प्रतियोगिताओं में एक बड़ी भागीदारी देखी गई जिसमें ECDC, बीट द मार्केट, डिज़ाइन इवेंट्स, स्टॉक पिच, टेक्नोवेशन टीआईसी, एमएल हैकाथॉन, टेक ऑफ-आईडीआरएल शामिल थे। टेककृति ’21  प्रसिद्ध बॉलीवुड गायक केके के शो के साथ संपन्न हुआ।

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