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आईआईटी कानपुर : ड्रोन और स्वायत्त प्रणालियों पर क्षमता मूल्यांकन कार्यशाला का हुआ आयोजन

कानपुर। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (SIIC) ने मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) के सहयोग से दो दिवसीय ड्रोन और स्वायत्त प्रणालियों पर क्षमता मूल्यांकन कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में एमपीआईडीएसए, उत्तर प्रदेश सरकार, सीएसआईआर-एनएएल, डीजीसीए, एनएक्यूएएस, डीजीक्यूए, एडीबी, वायुसेना, सेना, नौसेना, गृह मंत्रालय, डीएसीआईडीएस, एडीई, बीएसएफ, डीआरडीओ और ड्रोन प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में काम करने वाले स्टार्टअप के 44 प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के भारत के रणनीतिक लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए ड्रोन डिजाइन, विकास, परीक्षण, प्रमाणन और प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना था।

उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा, ‘भारत का लक्ष्य ड्रोन तकनीक का वैश्विक केंद्र बनना है, जिसके लिए सरकार का मजबूत समर्थन इस विजन को आगे बढ़ा रहा है। प्रमाणन, परीक्षण और अनुसंधान एवं विकास इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। आईआईटी कानपुर के पास इन प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के लिए बुनियादी ढांचा है, जिसमें एक हवाई पट्टी, उड़ान प्रयोगशाला और प्रोटोटाइपिंग सुविधाएं शामिल हैं जो परिसर में ड्रोन डिजाइन और उत्पादन में मदद कर सकती हैं। आईआईटी कानपुर में पहले से ही कई ड्रोन डिजाइन और निर्मित किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ भारतीय सेना को सौंपे गए हैं और अन्य पाइपलाइन में हैं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस तरह की चर्चाएं भारत को ड्रोन तकनीक में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।’

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) के महानिदेशक राजदूत सुजान आर. चिनॉय ने कार्यशाला के पीछे के व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित किया और बताया कि यह ड्रोन प्रौद्योगिकी में भारत की रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप है। उन्होंने कहा, दो दिवसीय विचार-विमर्श में ड्रोन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए आवश्यक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के बीच नीतिगत प्रोत्साहन और सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। चर्चा तीन प्रमुख फोकस क्षेत्रों के इर्द-गिर्द रही। बुनियादी ढांचा विकास, प्रौद्योगिकी विकास और एकीकरण, और पारिस्थितिकी तंत्र विकास। आईआईटी कानपुर के पास ड्रोन प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा है। कानपुर डिफेंस कॉरिडोर तक पहुंच और स्टार्टअप्स के मजबूत नेटवर्क के साथ, संस्थान इस क्षेत्र में नवाचार और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए मजबूत स्थिति में है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्य सलाहकार अवनीश अवस्थी ने ड्रोन अनुसंधान और विकास पहलों पर उत्तर प्रदेश सरकार के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार उच्च तकनीकी क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक है। 

एलएंडटी के रक्षा व्यवसाय के निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष जे.डी. पाटिल ने ड्रोन विकास पर उद्योग के दृष्टिकोण से जानकारी प्रदान की। जबकि एकीकृत रक्षा स्टाफ के पूर्व प्रमुख एयर मार्शल बीआर कृष्णा, नौसेना स्टाफ के पूर्व उप प्रमुख वाइस एडमिरल सतीश कुमार नामदेव घोरपडे और डीआरडीओ के अधिकारियों ने चर्चा की नींव रखी और भारत के ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए अंतिम उपयोगकर्ताओं के दृष्टिकोण को साझा किया।

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