लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन प्रकिया पर रोक लगा दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शासन के अगले आदेश तक पंचायत सामान्य निर्वाचन 2021 के लिए आरक्षण व आवंटन की प्रक्रिया को अंतिम रूप न दिया जाए।अदालत ने आरक्षण प्रकिया पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई। अजय कुमार की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने यह फैसला लिया है। सोमवार को यूपी सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी। पंचायत चुनाव में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के स्थानों और पदों का आरक्षण व आवंटन के लिए 11 फरवरी, 2021 को अधिसूचना जारी की गई थी। गौरतलब है कि 17 मार्च को यूपी सरकार पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने वाली थी। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर ब्रेक लग गया है। सोमवार को सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। मामले की सुनवाई जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की डिवीजन बेंच में हुई।
याचिका में आरक्षण शासनादेश को दी गई चुनौती
अजय कुमार की याचिका में आरक्षण की नियमावली को चुनौती दी गई थी। पीआईएल में फरवरी महीने में जारी किए गए शासनादेश को चुनौती दी गई है। सीटों का आरक्षण साल 2015 में हुए पिछले चुनाव के आधार पर किए जाने की मांग की गई है। पीआईएल में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को गलत बताया गया है। साल 2015 में 59 हजार 74 ग्राम पंचायतें थीं, वहीं इस बार इनकी संख्या घटकर 58 हजार 194 रह गई है।