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कोरोना संक्रमण को रोकने एवं मरीजों के लिए घरेलू उपचार एवं टेलीमेडिसीन की व्यवस्था काशी-कवच शुरू

  • इस व्यवस्था के तहत वाराणसी शहर एवं आसपास के क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टर, जो आई0एम0ए0 के सदस्य हैं, वे टेलीमेडिसीन से लोगों का उपचार करेंगे
वाराणसी। काशी कोविड रिस्पोंन्स सेन्टर द्वारा कोविड नियंत्रण की कार्यवाही के सन्दर्भ में एम0एल0सी0 ए0 के0 शर्मा, कमिश्नर दीपक अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की टीम ने वर्तमान परिस्थिति में कोविड से संक्रमित होने वाले मरीजों में प्राथमिक लक्षण दिखने से लेकर उनके प्राथमिक उपचार, हास्पिटलाइजेशन एवं उसके पश्चात ठीक होकर घर जाने एवं लम्बे समय तक स्वस्थ रहने की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की।
डाक्टरों से सलाह लेकर विशेष रूप से इडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई0एम0ए0) के सहयोग से घरेलू उपचार एवं टेलीमेडिसीन की एक व्यवस्था खड़ी की गयी। इस व्यवस्था का नाम ‘काशी-कवच’ दिया गया है। गुरुवार को सर्किट हाउस में इसे औपचारिक रूप से शुरू किया गया। इस व्यवस्था के तहत वाराणसी शहर एवं आसपास के क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टर जो आई0एम0ए0 के सदस्य है और जो टेलीमेडिसीन से लोगों का उपचार करने के लिए राजी हैंं, उनकी एक मिटिंग की गयी। बाद में आई0एम0ए0 ने इनकी एक सूची बनायी। यह सूची समय-समय पर अपडेट की जायेगी एवं जनता को टेलीमेडिसीन के लिए सम्पर्क के लिए उपलब्ध करायी जायेगी। डॉक्टर एवं मरीजों के बीच का वार्तालाप उनका व्यक्तिगत मामला होगा। ली जाने वाली फीस एवं दवाओं का निर्धारण भी दोनो के बीच का मामला रहेगा। सर्वमान्य अनुभव यह आ रहा है कि कोरोना के प्राथमिक लक्षण दिखते ही यदि सावधानी बरती जाय या घरेलू उपचार करके कुछ मूलभूत दवाऐ ले ली जाय तो बीमारी को आगे बढने से रोका जा सकता है और हास्पिटल में भर्ती होने से भी बचा जा सकता है। इस उपचार के लिए टेलीमेडिसीन के डाक्टरों की यह लिस्ट बहुत उपयोगी है।
काशी कोविड रिस्पोंन्स सेन्टर की सलाह है कि लोग प्राथमिक लक्षण पर ध्यान दें एवं घरेलू उपचार तुरन्त शुरू कर दें। साथ ही इस लिस्ट में से अपने नजदीक के डॉक्टर से टेलीफोन करके आगे की सलाह लेकर अपना इलाज भी शुरू कर सकते है। इसी प्रकार यह भी देखा जा रहा है कि अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना के मरीज स्वस्थ हो जाने के बावजूद अस्पताल में कुछ दिन और बने रहना चाहते हैं। इसका कारण है कि उन्हें अस्पताल से घर पहुचने के बाद उनकी उचित देख-रेख न हो पाने की शंका रहती है। विशेषरूप से घर वापस आने वाले मरीजों को आवश्यकतानुसार डॉक्टर से कैसे सलाह ली जायेगी यह चिन्ता रहती है। ऐसे कोरोना के मरीजों की चिन्ता का निवारण भी टेलीमेडिसीन की इस व्यवस्था द्वारा व्यापक पैमाने पर हो सकेगा और अस्पतालों में बेड खाली होने की गति अच्छी होगी। इस प्रकार काशी-कवच के नाम की यह व्यवस्था एक तरफ प्राथमिक लक्षण के स्तर पर ही कोरोना संक्रमण को रोकने एवं मरीजों के लिए प्राथमिक उपचार के लिए काम करेगी। दूसरी तरफ हास्पिटलाइजेशन का दर कम करने एवं अस्पताल से घर गये मरीजों का ध्यान रखने में भी कारगर साबित हो सकेगा। इसका सुखद परिणाम यह भी होगा कि वास्तव में गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल के बेड उपलब्ध कराये जा सकेंगे और मरीज के ठीक होने की गति के साथ अस्पताल में बेड खाली होने की गति भी बढेगी। इस व्यवस्था के साथ टेलीमेडिसीन वाले डॉक्टर जो दवायें लिखेगे, वह किसी सक्षम ई-मार्केटिंग सेवा के माध्यम से मरीजों तक पहुच जाय इस दृष्टि से ई-मार्केटिंग करने वाली कुछ कम्पनीयों की सेवा भी ली जा रही है। जो डॉक्टर के बताने के आधार पर दवा मरीज के घर तक पहुचा देंगे। इसी प्रकार इस बात की व्यवस्था भी की जा रही है कि टेलीमेडिसीन वाले डॉक्टर यदि मरीज का किसी प्रकार की शारीरिक जॉच कराना चाहते हों तो जॉच के आवश्यक सैम्पल को एकत्रित करके पैथोलोजी सेन्टर तक पहुचाने और जॉच की रिपोर्ट डॉक्टर और मरीज को उपलब्ध हो जाय। ऐसी व्यवस्था हो सकें, इसे भी टेलीमेडिसीन से संकलित किया गया है।

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