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फसल अवशेष प्रबन्धन परियोजना के सफल संचालन के लिए सी एस ए विश्वविद्यालय ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को कहा

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों पर फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के सफल संचालन हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर एवं इटावा को स्वीकृति प्रदान की गई है। निदेशक प्रसार एवं समन्वयक डॉक्टर ए के सिंह ने बताया कि पूर्व में यह योजना कृषि विज्ञान केंद्र लखीमपुर खीरी, हरदोई एवं रायबरेली में संचालित की जा रही है जबकि वर्तमान में 2 केंद्रों के लिए और स्वीकृति हुई है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत अब पांच कृषि विज्ञान केंद्रों पर फसल अवशेष प्रबंधन योजना कार्य करेगी। उन्होंने बताया कि पूर्व में यह योजना के संचालन से पुआल जलाने वाले केस नगण्य रहे हैं।

डॉक्टर ए. के. सिंह ने बताया कि यह परियोजना अटारी जोन 3 के निदेशक डॉ. अतर सिंह के अथक प्रयासों के फल स्वरुप विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई हैं। फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ. पी. के. राठी ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा चयनित कृषि विज्ञान केंद्र जैसे लखीमपुर खीरी, रायबरेली एवं हरदोई दलीप नगर एवं इटावा में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु आधुनिक प्रमुख कृषि यंत्र जैसे मल्चर,सुपर सीडर,पैडी स्ट्रा, सीड ड्रिल, मोल्ड बोर्ड प्लाउ, ट्रैक्टर ट्राली आदि कृषि यंत्र केंद्रों को उपलब्ध कराए गए हैं। एवं समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों को निर्देशित किया गया है कि सभी केंद्र प्रशिक्षण, दीवार लेखन एवं प्रसार साहित्य के माध्यम से फसल अवशेषों को न जलाने के लिए अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करें। जिससे किसान भाई फसल अवशेषों को मिट्टी में कृषि यंत्रों की सहायता से जुदाई का सड़ा गला दे। जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति अच्छी होगी और गुणवत्ता युक्त फसल प्राप्त हो तथा पर्यावरण प्रदूषण भी कम हो।

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