मोनिका वर्मा
ऐसी मान्यता है कि सावन माह में जहां अन्य देवता शयन करते हैं, वहीँ शिव जागृत रहते हैं। इस कारण इस माह को शिव की उपासना के लिए विशेष माना गया है। इसलिए शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखकर रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और महाभिषेक करते हैं। रविवार से शुरू हो रहे सावन में इस बार सौभाग्य योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। विद्वानों के अनुसार इस योग में व्रत और अनुष्ठान करने वालों को शिव सौभाग्य के आशीष से अभिसिंचित करेंगे। यम-नियम से शिव की उपासना करने पर साधकों को विशेष फल प्राप्त होता है। यह भी मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए शिव की उपासना करती हैं। वहीं, पुरुष अपने सुखों की प्राप्ति के लिए शिव की उपासना में लीन रहते हैं। ‘शिवपुराण’ में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल है।
इस वर्ष पहले सोमवार को धनिष्ठा नक्षत्र, सौभाग्य योग लगेगा। धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी वसु हैं। यह नक्षत्र रोजगार और व्यापार के लिए बेहद शुभ है। सौभाग्य योग भाग्य को बढ़ाने वाला, यश तथा कीॢतप्रद योग है। इस योग में प्रारंभ किए गए कार्य सरलता से सफल होते हैं। इस योग में जन्म लेने वाला जातक सौभाग्यशाली होता है। धनिष्ठा एवं सौभाग्य योग में शिव की पूजा से धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
दूसरे सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग और कृतिका नक्षत्र लगेगा। कृतिका के स्वामी अग्निदेव हैं। इसे सूर्य का नक्षत्र भी कहा जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य उत्तम फलदायक होते हैं। इस योग और नक्षत्र के संयोग में महादेव का अभिषेक करने से व्यवसाय और नौकरी में तरक्की का मार्ग प्रशस्त होता है।
तीसरे सोमवार को श्लेषा नक्षत्र और वरीयान योग का संयोग बन रहा है। श्लेषा को ‘आश्लेषा’ भी कहते हैं। इसके स्वामी सर्प होते हैं। इस नक्षत्र की समाप्ति से तीन घटी (एक घंटा 12 मिनट) पूर्व का समय विशेष दोषपूर्ण रहता है। वरीयान का अर्थ है अपेक्षाकृत श्रेष्ठ। इस योग में किया गया कार्य निर्विघ्न सफल होता है। शिव की स्तुति करने से स्वास्थ्य लाभ एवं मनोरथ पूर्ण होता है।
चौथे सोमवार को अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म योग का विशेष संयोग बन रहा है। अनुराधा नक्षत्र में चार या छह तारे रथ के आकार के होते हैं। ब्रह्म योग ब्राह्मणों द्वारा किए जाने वाले कार्यों यानी ब्राह्म कर्म के लिए विशेष माना गया है। संन्यास, निर्वाण और मोक्ष दीक्षा के लिए यह योग उपयुक्त माना गया है। इस नक्षत्र और योग में शिव का पूजन करने से कचहरी में चल रहे मुकदमे से मुक्ति मिलती है।