कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शनिवार को एलुमनाई मीट एवं दो दिवसीय प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। इस अवसर पर भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के निदेशक डॉ. अमरेश चंद्र ने कहा कि इस तरह की पुरातन छात्रों के समागम कार्यक्रम होने से पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। एलुमनाई मीट में ओपन माइक के तौर पर गुफ्तगू का भी आयोजन हुआ। पूर्व छात्र 1982 बैच के अनिल कुमार पाठक संयुक्त निदेशक उर्वरक कृषि विभाग, डॉ. जगन्नाथ पाठक, विभागाध्यक्ष मृदा विज्ञान बांदा कृषि विश्वविद्यालय और 1984 बैच के डॉ. अभिमन्यु ने पुरानी कक्षाओं एवं छात्रावास के दिनों को याद कर अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती पर शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया। तत्पश्चात कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित भी किया गया।
इसके पूर्व कल शुक्रवार को मुख्य अतिथि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने संबोधन में कहा कि सीएसए देश के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के गौरव में पुरातन छात्रों की भूमिका अहम है। सभी पुरातन छात्रों का समागम कर विश्वविद्यालय ने सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि की जल धारण क्षमता में कमी, असंतुलित पोषक तत्वों के साथ ही मानव शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां के होने के कारण आज आवश्यकता इस बात की है कि प्राकृतिक खेती की जाए। जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार हो। उन्होंने कहा कि समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों के एक एकड़ प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती की जाए। और किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाए। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक उपक्रम साबित होगा। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से कहा कि 2 दिनों के प्राकृतिक खेती पर मंथन के उपरांत जो सुझाव सरकार के पास आएंगे उससे निश्चित तौर पर किसान लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी. आर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2020- 21 से ही प्राकृतिक खेती पर कार्य शुरू कर दिया है और उसके परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। इस वर्ष से सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्राकृतिक खेती के परीक्षण कराए जाएंगे।उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के चार कृषि विज्ञान केंद्रों पर विभिन्न फसलों के उत्कृष्ट केंद्र बनाए गए हैं। जिससे उन जनपदों के किसानों के फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 300 से अधिक विभिन्न फसलों की प्रजातियां विकसित की गई हैं।आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर विश्वविद्यालय द्वारा 66 कार्यक्रम आयोजित कराए जा चुके हैं। इस अवसर पर पुरातन छात्र डॉ आर सी चौधरी, डॉ वाईएस शिवाय, डॉक्टर भारत सिंह, डॉक्टर मसूद अली सहित लगभग 300 पुरातन छात्र शामिल रहे।
एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एस. के. सिंह ने सभी छात्रों के सहयोग हेतु धन्यवाद दिया। जबकि कार्यक्रम के आयोजक डॉ. मनीष गंगवार ने कार्यक्रम हेतु आर्थिक सहायता के लिए सभी संस्थाओं का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ. वी. के. त्रिपाठी, डॉ. कौशल कुमार, डॉक्टर नौशाद खान, डॉक्टर धनंजय सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।